जयपुर ब्लास्ट केस में आरोपियों को बरी किए जाने का विरोध किया जा रहा है। जयपुर में 2008 में हुए उस दर्दनाक हादसे को कोई नहीं भुला पाया है। ऐसे में जब उन आरोपियों को बरी किए जाने की खबर सुनी है तब से जनता में आक्रोश है। वहीं सीएम ने भी इस पर आगे कार्यवाही करने की ठान ली है। सीएम गहलोत ने देर रात हाई लेवल बैठक बुलाकर कमजोर पैरवी के कारण AAG राजेंद्र यादव को तत्काल हटाने का फैसला लिया गया है।
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AAG राजेंद्र यादव की रही कमजोर पैरवी
सभी को इंतजार था कि इन आरोपियों को कड़ी सजा मिलेगी लेकिन 29 मार्च को बरी कर दिया गया। उस दिन एक बार फिर से जयपुरवासियों के लिए यह खबर किसी बॉम्ब ब्लास्ट होने से कम नहीं थी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बैठक में कहा कि जयपुर बॉम्ब ब्लास्ट में आरोपियों को सजा दिलाने वाले मामले की पैरवी AAG राजेंद्र यादव ने की थी। लेकिन उनकी कमजोर पैरवी के कारण आरोपियों की मौत की सजा बरी करने के फैसले में बदल गई। रातोंरात AAG राजेंद्र यादव को हटाने का फैसला लिया गया। सरकार चाहती है कि उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले। इसलिए अब राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल करने वाली है।
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फांसी की सजा बरी में बदली
13 मई 2008 को सीरियल बॉम्ब ब्लास्ट वाले मामले में 4 आरोपियों को 20 दिसंबर 2019 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन 29 मार्च को अचानक चारों आरोपियों को बरी घोषित कर दिया गया। यह फैसला जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की बेंच ने सुनाया था। राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले में डैथ रेफरेंस दोषियों की ओर से पेश 28 अपीलों पर फैसला लिया था।