खेत बने दरिया, किसान हुए मायूस
सीकर। किसानों की फसल लगभग पक कर तैयार खड़ी है तथा चने, सरसों एवं कई जगहों पर गेहूं की कटाई भी शुरू हो चुकी है, ऐसे में बेमौसम की बारिश ने किसानों को रुला दिया है वही खेत भी पानी के दरिया बन चुके हैं। अधिकांश फसल पहले अत्यधिक ठंड में खराब हो चुकी थी रही सही कसर भगवान ने चैत्र माह में लगातार बारिश कर खराब कर दी है। चैत्र मास के समापन पर व वैशाख लगते लगते लगभग किसान अपनी फसल की कटाई कर लेते हैं परंतु इस वर्ष तो मानो कुदरत ने किसानों पर कहर ही ढा दिया है। किसानों के खेतों में कटी हुई सरसों पड़ी है तो कई खेतों में कटे हुए चने पड़े हैं, गेहूं की फसल पक कर खड़ी हुई है परंतु बारिश और ओलावृष्टि से अधिकांश फसल चौपट हो चुकी है। ऐसे में किसान अपनी फसल को देखकर रो रहा है। इस प्राकृतिक आपदा से किसानों को जो नुकसान हुआ है उसके आंसू पोछने वाला भी कोई नहीं है। सरकार ने अत्यधिक ठंड में खराब हुई सरसों की फसल का मुआवजा देने का वायदा तो किया है लेकिन क्या इस बारिश और ओलावृष्टि का मुआवजा सरकार दे पाएगी और सरकार ने अगर मुआवजा राशि दे भी दी तो ऊंट के मुंह में जीरा वाली कहावत लागू होगी।
किसानों को राहत दे सरकार
अलवर। शुक्रवार को आई बारिश और ओलों किसानों को रुला दिया है। ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसलें खराब हो चुकी हैं। किसानों की सांसें अटक गई हैं। वे कहीं के नहीं रहे। पकी-पकाई खेती ओलों तले दब गई। फिर ओले पिघले और तेज बारिश हुई तो फसल बहकर चली गई। खेती-किसानी के हाल बुरे हो गए हैं। चने-गेहूं व जौ में कुछ नहीं बचा है। खासकर थानागाजी, बालेटा, मालाखेड़ा के आसपास के किसानों की पूरी फसल चौपट हो गई है।
कलक्टर ने गिरदावरी करने के दिए निर्देश
ओलावृष्टि के तुरंत बाद अलवर कलेक्टर ने गिरदावरी करने के निर्देश दिए। ताकि किसानों को जल्दी मुआवजा मिल सके। असल पूरे क्षेत्र में ओलों से मोटा नुकसान हुआ है। जो खराबे के दायरे में आता है। बहुत जगहों पर तो पूरी फसल खराब हुई है। अब पटवरी व अन्य कर्मचारी मौका रिपोर्ट करेंगे। जो शनिवार सुबह से फील्ड में निकले हैं।