अयोध्या राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है। इस समारोह को भव्य बनाने के लिए हर प्रकार की कोशिश की जा रही है। इसके लिए दुनियाभर के खास और प्रतिष्ठित लोगों को निमंत्रण पत्र (Invitation Letter) भेज दिया गया है। निमंत्रण पत्र के साथ संकल्प नाम से एक बुकलेट भी दी जा रही है जिसमें देवरहा बाबा की तस्वीर छपी है जो सोशल मीडिया पर बहुत ज्याद चर्चा का विषय बनी हुई है।
33 साल पहले की भविष्यवाणी
देवरहा बाबा ने 1992 की घटना से पहले इलाहाबाद में राम मंदिर बनने की भविष्यवाणी कर दी थी। बाबा ने विश्वास के साथ कहा था, 'राम मंदिर अवश्य बनेगा और इसमें कोई विघ्न नहीं डालेगा। ये भविष्यवाणी आज इसलिए अहम है क्योंकि उस वक्त तक राम मंदिर बनने का सपना बहुत ही कठिन था। राम मंदिर बनने में कोई परेशानी नहीं होगी। हिंदू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, सिख सब हमारे हैं और मैं उनका हूं।उन्होंने घोषणा की थी कि विश्व हिंदू परिषद मेरी आत्मा है, मेरी सहमति से श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन चल रहा है.'
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सैकड़ों साल जिए बाबा
देवरहा बाबा इतने ज्यादा मशहूर थे की कई प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक उनका आशीर्वाद लेने जाते थे। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, Indira Gandhi, Atal Bihari Vajpayee, Rajendra Prasad, समेत देश दुनिया के तमाम दिग्गज लोग बाबा से आशीर्वाद लेने जाते थे। चमत्कारी बाबा के कारण वह भारत के दिव्य संतों में से एक माने जाते हैं। बाबा बिना किसी से कुछ पूछे ही मिलने वाले शख्स के बारे में सबकुछ जान लेते थे। मिलने वाले लोगों चमत्कार महसूस किया और इसी कारण दूर-दूर से लोग उनके दर्शन करने आते थे। मथुरा में यमुना नदी के किनारे स्थित आश्रम में वह 12 फीट ऊंचे लकड़ी के मचान से भक्तों को दर्शन देते थे। शरीर पर एक कपड़ा ही पहनते थे और लोग उनकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते थें। कुछ लोगों का मानना हैं कि बाबा 250 साल जिए और कुछ लोगों का मानना है कि वह 500 साल तक जीवित रहे।
देवरहा का जीवन परिचय
यूपी में देवरिया जिले के नदौली ग्राम से देवरहा बाबा का संबंध है। देवरिया जिले के कारण ही उनका नाम देवरहा बाबा पड़ा था। राम मंदिर की तरफ से आश्रम के महंत श्याम सुंदर दास को भी प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण भेजा है। बाबा के पास भविष्य में क्या होने वाला है ये देखने की शक्ति थी। राम मंदिर आंदोलन के लिए उन्होंने प्रयास भी किए थे लेकिन उनकी भविष्यवाणी आज सच साबित हो रही है। राम मंदिर आंदोलन शुरू होने से पहले ही 19 जून 1990 को वृंदावन में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया था।
बाबा का कांग्रेस से नाता
देश में emergency घोषित हुई थी और इसके बाद देश में लोकसभा चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद इंदिरा गांधी काफी टूट गईं थी और इसी दौरान किसी ने उन्हें देवरहा बाबा से मिलने की सलाह दी। वह बाबा का आशीर्वाद लेने देवरिया आश्रम पहुंचीं। बाबा ने आशीर्वाद दिया और पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा रख दिया क्योंकि पहले congress party का चुनाव चिन्ह गाय-बछड़ा था। 'हाथ का पंजा' चुनाव चिन्ह पर ही Indira Gandhi ने 1980 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने में सफल रही।
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बाबा का इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल
देवरहा बाबा का एक इंटरव्यू social media पर वायरल हो रहा है और उस इंटरव्यू में राम मंदिर बनने से लेकर Rajiv Gandhi तक के बारे में बताया है। मंदिर कायदे से बन जाएगा और मंदिर अवश्य बनेगा। मंदिर बनने में सबका सहयोग रहेगा, सब हमारे हैं और मैं उनका हूं। हमारा ध्यान विश्व कल्याण पर है और किसी को झगड़ा करने से कोई लाभ नहीं होगा, यह राष्ट्र हिंदू राष्ट्र पहले से ही है. यहां राम-कृष्ण अवतार हुए. वो लोग हिंदू के यहां अवतार लिए. तो यह देश ही हिंदू का है.'