इन दिनों मालदीव दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है और वह चीन की साजिश का शिकार होता दिख रहा है। लेकिन उसे इस बात का पता नहीं है कि श्रीलंका और पाकिस्तान के बाद बर्बाद होने के पीछे चीन की साजिश थी। लेकिन मालदीव (Maldives) अब चीन का नया शिकार बनने जा रहा है। भारत से बढ़ते विवाद के बीच मालदीव का चीन प्रेम खुलकर सामने आ गया है। लेकिन ये प्रेम मालदीव को कंगाली की राह पर ले जाकर छोड़ेगा इस बात से वह अभी अंजान है।
भारत का भरोसा तोड़ा
मालदीव हमेशा से ही भारत का एक भरोसेमंद पड़ोसी देश रहा है, लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप (Lakshadweep) की यात्रा पर मालदीव के मंत्रियों ने जो आपत्तिजनक टिप्पणी की उसे देखकर लग रहा है कि दोनों की रिश्ते अब बिगड़ सकते हैं। इससे भारत को कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन मादीव को बड़ा नुकसान होने जा रहा है। क्योंकि मालदीव की अर्थव्यवस्था में भारत का बड़ा योगदान है और कई चीजों पर वह पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। लेकिन जब से मालदीव में चीन समर्थित सरकार बनी है भारत के साथ उसके रिश्तों में तनाव देखने को मिल रहा है।
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मालदीव की इकोनॉमी
मालदीव की मुख्य economy टूरिज्म पर ही है और वहां की जीडीपी का करीब 30% हिस्सा टूरिज्म का है। इसके साथ फॉरेन एक्सचेंज में भी करीब 50 फीसदी से ज्यादा का योगदान टूरिज्म का है। भारतीय लोग यहां सबसे ज्यादा जाते है और ऐसे में अगर भारत के साथ उसके रिश्ते खराब होते है तो उसे आर्थिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। पिछले साल मालदीव और भारत के बीच 500 मिलियन डॉलर से ज्यादा का कारोबार हुआ था और इस वर्ष भी इसमें इजाफा ही हो रहा है। दोनों के मध्य तीन दशक पहले ट्रेड एग्रीमेंट हुआ था और इस एग्रीमेंट के तहत मालदीव भारत से उन वस्तुओं का आयात करता है, जो दूसरे देशों को निर्यात नहीं होता है। इसके अलावा मालदीव के infrastructure project में भी india का पैसा लगा है।
मालदीव भारतीय टूरिस्ट की पहली पसंद
पिछले कई दशकों से भारतीयों के लिए मालदीव एक बेस्ट tourist spot बना हुआ है। साल 2023 में भारत से 2 लाख से ज्यादा लोग मालदीव घूमने गए थे और अगर भारतीय यहां जाना बंद कर दें तो मालदीव की आर्थिक स्थिति एक झटके में बिगड़ जाएगी। उसका आर्थिक संकट बढ़ना शुरू हो जाएगा क्योंकि भारतीयों ने मालदीव जाने का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। मालदीव के लिए पर्यटन उद्योग बेहद जरूरी है और इसमें भी भारत का प्रमुख योगदान है। भारत मालदीव के तीसरे सबसे बड़े व्यापार पार्टनर के रूप में शामिल है।
क्षेत्रफल में बहुत छोटा
मालदीव की आबादी में 98 फीसदी मुस्लिम है और बाकी 2 प्रतिशत अन्य धर्म शामिल है। यहां की कुल आबादी लगभग 5 लाख है। लेकिन मालदीव करीब 1200 द्वीपों का एक समूह है जंहा ज्यादातर द्वीपों में कोई नहीं रहता है और इसका क्षेत्रफल दिल्ली से भी बहुत कम है।
भारत पर निर्भर
मालदवी Engineering Goods, Industrial Products जैसे फार्मास्यूटिकल्स, रडार उपकरण, रॉक बोल्डर और सीमेंट जैसी चीजों पर पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। लोगों के खाना जरूरी होता है उस मामले भी वह भारत पर ही निर्भर है। चावल, आटा, मसाले, फल-सब्जियां, चीनी जैसी जरूरी वस्तुओं को लेकर भी मालदीव की निर्भरता भारत पर टिकी है।
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मालदीव की बर्बादी
भारत की इकोनॉमी लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर के पास है जबकि मालदीव की इकोनॉमी करीब 6 billion dollars की है। लेकिन हैरान की बात यह है कि हर साल भारतीय विदेश घूमने पर करीब 65 बिलियन डॉलर खर्च कर देते हैं जो मालदीव की जीडीपी के बराबर है। इस विवाद के बाद मालदीव घूमने वाले लोगों ने बहिष्कार करना शुरू कर दिया है जो उसकी बर्बाद की शुरूआत है।
चीन की चाल में फंसा मालदीव
मालदीव के President Mohammed Muizzu का चीन से ज्यादा लगाव है और वह भारत से ज्यादा चीन की बात मानते है। इस विवाद के बीच मालदीव की इकोनॉमी पर कब्जा करने के लिए चीन नई चाल चलने की तैयार में लगा है। क्योंकि 2023 में मालदीव आने वाले Chinese tourists की संख्या में तेजी से बढ़ी है और मालदीव इस बात से बहुत ज्यादा खुश है। 2022 में मालदीव पहुंचने वाले टूरिस्टों में चाइनीज 27वें नंबर पर था और महज के साल यानि 2023 में अचानक वह तीसरे नंबर पर पहुंच गया जो हैरान की बात है।मालदीव सरकार ने पीछले दिनों चीन से भारी कर्ज लिया है और बजट का करीब 10 फीसदी हिस्सा चीन का कर्ज चुकाने में चला जाता है। चीन और मालदीव मिलकर आइलैंड पर होटल बना रहे हैं अगर भविष्य में वह कर्ज समय पर नहीं चुका पाता है तो मालदीव के आइलैंड पर चीन का कब्जा होगा।