Ayodhya Ram Mandir: वैसे तो हिंदू ग्रंथों की शुरुआत ऊं या श्री गणेशाय नम: से होती है। लेकिन उत्तरप्रदेश के रामपुर की 'रजा लाइब्रेरी' में एक ऐसा हिंदू ग्रंथ 'रामायण' रखी है, जिसकी शुरुआत 'बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम' से होती है। यह रामायण फारसी में लिखी गई है। इस रामायण का संस्कृत से फारसी में अनुवाद सुमेरचंद ने 1713 में किया था। सुमेरचंद ने मुगल बादशाह फर्रुखसियर के कहने पर वाल्मीकि रचित रामायण का फारसी में अनुवाद किया था।
रामपुर की Raza Library ज्ञान का खजाना
कहते है कि यूपी के रामपुर की Raza Library ज्ञान का खजाना है। यहां आपको दुर्लभ पांडुलिपियों का संग्रह भी मिलता है। साथ ही हजरत अली के हाथ लिखी कुरान भी उपलब्ध है। .. वहीं फारसी में लिखी गई रामायण भी। इस रामायण में स्याही की जगह सोने के पानी का इस्तेमाल किया गया है।
फारसी रामायण को कीमती पत्थरों से सजाया गया है। इसमें मुगल शैली में बने 258 चित्रों का इस्तेमाल हुआ है। तस्वीरों में राम, सीता और रावण अलग ही दिखाई देते हैं। चित्रों में दिखाए गए पात्रों के आभूषण, कला, वास्तुकला, वेशभूषा में मुगलकालीन के हिंदुस्तान की झलक दिखाई पड़ती है।
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मोदी ने ईरान को भेंट की फारसी रामायण
PM Narendra Modi साल 2016 में जब ईरान के दौरे पर गए थे तो उन्होंने इस रामायण की प्रति ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रोहानी को भी भेंट की थी। इस फारसी रामायण का हिंदी अनुवाद भी किया जा चुका है, जो प्रो. शाह अब्दुस्सलाम और डॉ. वकारुल हसल सिद्दीकी ने किया हैं। जो लाइब्रेरी में मौजूद है।
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तीन खंड में विभाजित है फारसी रामायण
फारसी में अनुवादित रामायण में तीन खंड हैं, जिसमें बाल खंड, सीता हरण और हनुमत मिलन शामिल है। बीते साल मार्च में रजा लाइब्रेरी की ओर से लखनऊ में प्रदर्शनी का आयोजन हुआ था, जिसमें इस रामायण की छपी हुई कॉपियों को लोगों ने हाथों हाथ खरीद लिया था।