जयपुर। संगीत के Ustad Rashid Khan की Death ने संगीत जगत को चौंका दिया है। संगीत सम्राट उस्ताद राशिद खान (Rashid Khan Death) का कोलकाता के एक हॉस्पिटल में प्रोस्टेट कैंसर का इलाज कराते समय निधन हो गया है। Alvida Rashid Khan का मैसेज इस समय पूरे इंटनेट पर सर्कूलेट हो गया है। उस्ताद राशिद खान ने 55 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। राशिद खान पिछले कई दिनों से वेंटिलेटर पर थे और उनको ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा था। हालांकि, राशिद खान को बचाने की डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की उन्होंने दोपहर करीब 3:45 बजे इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
ममता बनर्जी ने जताया Rashid Khan Death पर शोक
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राशिद खान की मौत (Rashid Khan Death) पर शोक जताते हुए कहा 'यह पूरे देश और पूरे संगीत की दुनिया के एक बड़ी क्षति है। मुझे इसका बहुत दर्द है क्योंकि क्योंकि मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि राशिद खान इस दुनिया में नहीं रहे। संगीतकार राशिद खान का पिछले महीने सेरेब्रल अटैक की वजह से स्वास्थ्य खराब हो गया था।
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राशिद खान का इलाज टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में हुआ था शुरू
राशिद खान (Rashid Khan Death) रामपुर-सहसवान घराने से हैं। सेरेब्रल अटैक आने के बाद शुरू में राशिद खान का इलाज टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में कराया गया था। परंतु, बाद में उन्होंने विशेष रूप से कोलकाता में अपना इलाज जारी रखा। राशिद खान शुरू में इलाज को सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे थे, लेकिन बाद में मामला बिगड़ गया।
राशिद खान का यूपी के बदायूं से है नाता
राशिद खान का जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूँ में हुआ था और वो उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान के भतीजे हैं। राशिद ने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण अपने नाना उस्ताद निसार हुसैन खान (1909-1993) से लिया था। राशिद की संगीत प्रतिभा को सबसे पहले उनके चाचा गुलाम मुस्तफा खान ने पहचाना था। उन्होंने राशिद को मुंबई में प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया था। हालाँकि, प्रारंभिक प्रशिक्षण निसार हुसैन खान से उनके निवास स्थान बदायूँ में मिला था।
सिर्फ 11 वर्ष की उम्र में दिया था पहला कार्यक्रम
Rashid Khan ने अपना पहला संगीत कार्यक्रम सिर्फ 11 वर्ष की उम्र में दिया था। इसके बाद उन्होंने 1978 में उन्होंने दिल्ली में आईटीसी संगीत कार्यक्रम में मंच की शोभा बढ़ाई। फिर अप्रैल 1980 में जब निसार हुसैन खान कलकत्ता में आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी (एसआरए) में चले गए। वो 14 साल की उम्र में राशिद खान भी अकादमी का हिस्सा बन गए।
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शास्त्रीय हिंदुस्तानी संगीत के साथ किया ऐसा प्रयोग
राशिद खान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को हल्की संगीत शैलियों के साथ मिश्रित करने का कार्य किया था। वो पश्चिमी वाद्ययंत्र वादक लुइस बैंक्स के साथ संगीत कार्यक्रम सहित प्रयोगात्मक सहयोग में लगे रहे। अलावा राशिद खान ने जुगलबंदियों में भाग लेकर, सितारवादक शाहिद परवेज़ और अन्य संगीतकारों के साथ मंच शेयर करके अपनी बहुमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया।