अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन है। देश के लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बना रहे हैं। हाल ही सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़ने और अधीर रंजन चौधरी सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने भी इसे भाजपा और संघ का आयोजन बताते हुए इससे दूरी बना ली है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के इस कदम का पार्टी में ही विरोध होने लगा है। एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा है कि पार्टी को इस कदम की वजह से आने वाले चुनावों में नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने रामलला के महोत्सव का आमंत्रण ठुकरा कर बहुत बड़ी गलती की है, जिसका नतीजा चुनाव में दिखाई देगा।
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राजीव गांधी को दिया ताला खुलवाने का श्रेय
लक्ष्मण सिंह यही नहीं रुके, वरन उन्होंने कहा कि जब राजीव गांधी ने वहां ताला खुलवाया था तो आप कौन होते हैं मना करने वाले। सिंह ने कहा कि पार्टी का नुकसान हो चुका है और यदि पार्टी आलाकमान इस तरह के सलाहकार रखेगा तो परिणाम भी ऐसे ही होंगे।
भाई दिग्विजय सिंह पर भी कसा तंज
उन्होंने अपने भाई तथा मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर तंज भी कसा। सिंह ने कहा कि दिग्विजय सिंह बहुत बड़े महापुरुष और ज्ञानी और जानकार हैं, उनके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। हालांकि जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या आप भी अयोध्या जाएंगे तो लक्ष्मण सिंह ने तुरंत ही कहा कि हमारी पूरी आस्था भगवान राम के प्रति है। हम लोग जाएंगे और हर वर्ष बार-बार जाएंगे।
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दिग्विजय सिंह ने भी बताया था रामलला महोत्सव को भाजपा का चुनावी स्टंट
अन्य कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं सहित दिग्विजय सिंह ने भी इस महोत्सव को भाजपा का चुनावी स्टंट बताते हुए इसकी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी के बजाय अप्रैल में रामनवमी पर भी किया जा सकता था। अभी अधूरे मंदिर में ऐसा होना गलत है। दर्शन के लिए पूछे जाने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह बिना संघ परिवार और भाजपा की राजनीति का हिस्सा बने राम मंदिर में दर्शन करने जाएंगे।