जयपुर। न अकाल पड़ेगा न सुकाल, टोंक के दड़े ने बता दिया है कि किसानों के लिए कैसा रहेगा ये साल। जी हां, राजस्थान के टोंक जिले के आंवा कस्बे में खेले जाने वाले दड़ा खेल (Tonk Dada Khel) में ये भविष्यवाणी हुई है। आपको बता दें कि आंवा में हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर दड़ा खेल का आयोजन किया जाता है जिसमें कई गांवों के ग्रामीण भाग लेकर दड़ा खेल खेलते हैं।
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80 किलो वजनी दड़ा खेला जाता है
आवां में जो दड़ा खेल (Dada Game) खेला जाता है उसमें 80 किलो वजनी दड़ा इस्तेमाल किया जाता है। खेल शुरू होने के करीब 3 घंटे की जोर आजमाइश के बाद जब 80 किलो वजनी दड़ा न गोलपोस्ट दूनी दरवाजे की तरफ़ गया और न ही अखनिया दरवाजे की तरफ़ तो आँवा सरपंच दिव्यांश एम भारद्वाज ने ऐलान किया कि यह साल किसानों के लिए सामान्य रहेगा। यानी न अकाल होगा न सुकाल, सामान्य रहेगा यह साल। सुबह गढ़ पेलेस में दड़े की राजपरिवार के कार्तिकेय सिंह, कुलदीप सिंह व सरपंच भारद्वाज ने पूजा कर, ठोकर लगाई और शुरू हो गया धक्का-मुक्की और खींचतान भरा का यह खेल। माना जाता है कि दड़ा दूनी गेट की तरफ़ जाए तो क्षेत्र मे खुशहाली आती है ओर अखनिया गेट की ओ जाए तो सूखा पड़ता है।
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पुराने कपड़ों से बनाया जाता है दड़ा
Makar Sankranti आंवा में खेला जाने वाला दड़ा खेल में उपयोग किया जाने वाला दड़ा पुराने कपड़ों से बनाया जाता है। फिर इन कपड़ों को बोरी के टाट में लपेटकर रस्सियों से बांधकर गोल गेंद का रूप दिया जाता है। इस दड़े का वजन 70 किलो होता है जिसको फिर लोग इधर उधर धकेलते हैं।