जयपुर। Ram Mandir को लेकर झमेली बाबा (Jhameli Baba) ने भीष्म प्रतिज्ञा की थी जिसके बाद अब वो 31 साल बाद अन्न खाएंगे। झमेली बाबा बिहार के दरभंगा जिले के बहादुरपुर प्रखंड के खैरा गांव के रहने वाले हैं। झमेली बाबा का नाम वीरेंद्र कुमार बैठा भी है जो अब 31 साल के बाद अन्न ग्रहण करेंगे। बैठा बाबा एक कारसेवक हैं जो 31 वर्ष से फल खा कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। अब जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरा होने जा रहा है तो झमेली बाबा खुद अपने हाथ से भोजन करेंगे। झमेली बाबा सेंधा नमक डला भोजन खाकर अपनी भीष्म प्रतिज्ञा (Bhishma Pratigya) तोड़ेंगे। उनकी 31 वर्ष की उनकी तपस्या 22 जनवरी को पूरी हो रही है।
झमेली बाबा ने राम मंदिर के लिए थी भीष्म प्रतिज्ञा
आपको बता दें कि झमेली बाबा ने बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़ कर तोड़ने के बाद 7 सितंबर 1992 को भीष्म प्रतिज्ञा ली थी कि राम मंदिर निर्माण होने तक वो अन्न नहीं खाएंगे बल्कि सिर्फ फलहार पर पर ही जिंदा रहेंगे। जिस दिन राम मेंदिर का निर्माण होगा और राम लला विराजमान होंगे, उस दिन अन्न ग्रहण करेंगे। इसके बाद Jhameli Baba अब तक गुमनामी में पान की दुकान चला कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने विवाह तक नहीं किया और अपना जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
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दरभंगा से 250 कारसेवक पहुंचे थे अयोध्या
झमेली बाबा उर्फ वीरेंद्र कुमार बैठा का कहना है कि वो बचपन से ही स्वयं सेवक रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर दरभंगा से लगभग 250 कारसेवकों के साथ वो अयोध्या के लिए निकले थे। अयोध्या पहुंचने पर विश्व हिंदू परिषद के बिहार प्रांत के अध्यक्ष महादेव प्रसाद जायसवाल, बेलागंज के अशोक साह, गजेंद्र चौधरी, गुदरी बाजार के शंभू साह किसी तरह बाबरी मस्जिद में प्रवेश कर गए।
गुंबद गिराकर मस्जिद की धाराशायी
झमेली बाबा का कहना है कि बाबरी मस्जिद के परिसर के बाहर एक लोहे का पाइप था। इसी के सहारे वो मस्जिद गिराने में लग गए। देखते ही देखते वो अपने साथियों के साथ गुंबद पर चढ़ गए। वहां पर सैकड़ों की संख्या में शिव सेनिक भी थे। गुंबद करने के बाद मस्जिद धराशायी हो हो गई और सभी राम भक्त निशानी के रूप में ईंट आदि लेकर वहां से चल दिए।
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राम मंदिर के लिए अन्न त्यागने का लिया संकल्प
झमेली बाबा ने सरयू नदी में स्नान करके 'अयोध्या में भव्य रामलला मंदिर निर्माण हो' इस मनोकामना के लिए अन्न त्यागने की भीष्म प्रतिज्ञा ले ली। इस दौरान उन्होंने पास के ही स्टूडियो में फोटो भी खिंचाई थी जिसको आज भी संभाल कर रखे हुए हैं। उनका कहना है कि वो अयोध्या से 8 दिसंबर 1992 को अपने कुछ साथियों के साथ दरभंगा पहुंचे। इसके बाद लहेरियासराय स्टेशन से रेलवे ट्रैक होते हुए बलभद्रपुर RSS कार्यालय पहुंचे जिसके बाद उनकी जान बची।
पान की दुकान चलाकर कर रहे गुजर बसर
इसके बाद वो झमेली बाबा बनकर लहेरियासराय थाना क्षेत्र के जीएन गंज रोड पर रहने लगे और यहीं पर पान की दुकान चलाने लगे। इतना ही नहीं बल्कि झमेली बाबा ने अपने दिव्यांग भाई को गांव की सारी संपत्ति सौंप दी। अयोध्या में मंदिर बनाने के लिए वो पूर्णिमा और सावन माह के हर सोमवार को देवघर डाक बम बन कर जाते रहे। झमेली बाबा का सपना अब पूरा हो रहा है जिसके बाद 23 जनवरी को सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर बाबा को अर्पित करेंगे। इसके बाद अयोध्या जाकर रामलला की पूजा करेंगे। झमेली बाबा को राम मंदिर का न्यौता भी मिला है।