जयपुर। अयोध्या में विवादित ढ़ांचा टूटने के बाद अब राम मंदिर (Ram Mandir) बन गया है और उसकी प्राण प्रतिष्ठा भी हो चुकी हैं। इसके बाद अब मथुरा-काशी (Mathura kashi) को लेकर मुद्दा उठा है जिसमें काशी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi masjid) और मथुरा की शाही ईदगाह (Mathura Shahi idgah) हिंदुओं को देने का ऐलान किया गया है। यह ऐलान अयोध्या में विवादित स्थल की पहली और दूसरी खुदाई के दौरान एएसआई के अधिकारी रहे केके मोहम्मद (KK Muhammed) ने किया है। उन्होंने कहा है कि मुसलमानों को ज्ञानवापी और मथुरा की शाही ईदगाह को हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए। केके मोहम्मद ने कहा कि विवाद का एक मात्र समाधान यही है कि इन स्थानों को वापस हिंदुओं को सौंप देना है। इस बात को लेकर सभी धर्मगुरु होने चाहिए। मोहम्मद ने कहा कि भगवान श्रीराम, शिव और श्रीकृष्ण के साथ हिंदुओं की भावना जुड़ी है। इन जगहों से मुस्लिमों की कोई भावना नहीं जुड़ी है। मुस्लिमों की भावना मक्का और मदीना जुड़ी है।
राम मंदिर के स्तंभ पहली खुदाई में ही मिल गए थे
केके मोहम्मद ने कहा कि अयोध्या में जब पहली बार खुदाई की गई तो वहां पर 12 स्तंभ मिले थे जिनमें से कईयों पर हिंदू निशान बने हुए थे। मोहम्मद उस समय बीबी लाल की टीम में ट्रेनी के तौर पर कार्य कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि बीबी लाल नहीं चाहते थे कि ये बातें सामने आएं और विवाद पैदा हो। इसी वजह से इसका प्रकाशन नहीं करवाना चाहते थे। हालांकि, बाद में कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने खुदाई में कुछ भी नहीं मिलने की बात कही तो प्रोफेसर बीबी लाल को जवाब देना पड़ा और उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सच बात बता दी।
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बाबरी ढ़ांचा गिराने के खिलाफ थे केके मोहम्मद
मोहम्मद ने कहा कि 1992 में जब बाबरी मस्जिद ढांचा गिराया गया तो वो ये बात सुनकर हैरान रह गए थे। क्योंकि वो एक पुरातत्ववेत्ता के रूप में कभी किसी भी संरचना को नष्ट करने का समर्थन नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि खुदाई के दौरान जो परिणाम सामने आए उनके अनुसार राम मंदिर बन गया है और भगवान राम विराजमान हो गए हैं।
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केरल के कोझिकोड़ में रहते है। केके मोहम्मद
आपको बता दें कि केके मोहम्मद को 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया था, लेकिन वो समारोह में नहीं गए। उनके मुताबिक बीमारी की वजह से वो फिट नहीं हैं। मोहम्मद ने कहा कि उनको आज भी कई बार धमकियां मिलती रहती है। वो अभी केरल राज्य के कोझिकोड में रहते हैं।