पुलवामा शहीद सैनिकों की वीरांगनाएं जयपुर में अपने हक के लिए काफी समय से लड़ रही है। वे यहां आई अपने हक के लिए थी लेकिन उन्हें हर जगह अपमान सहना पड़ रहा है। वीरांगनाओं का यह संघर्ष खत्म होने के बजाय बढ़ता ही नजर आ रहा है। एक तरफ राज्य सरकार उनकी मांग पर दो टूक जवाब दे रही है वहीं दूसरी तरफ ये वीरांगनाएं भी अपना सम्मान पाने के लिए अड़ी हुई है।
महिलाओं के साथ किरोड़ी भी बैठे धरने पर
मंजू जाट, मधुबाला और सुन्दरी देवी जब पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के आवास के बाहर धरना प्रदर्शन कर रही थी तो राज्य सरकार ने एक्शन लेते हुए आज सुबह 3 बजे वीरांगनाओं के धरने को पुलिस ने जबरन उठा दिया है। इसके बाद वीरांगनाओं सहित उनके परिजनों और सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा के कुछ समर्थकों को भी पुलिस जयपुर की सेज पुलिस थाने में ले गई। उसके बाद सांसद किरोड़ीलाल मीमा भी सेज थाने पहुंचे और वीरांगनाओं के साथ वहीं धरना शुरू कर दिया। सासंद किरोड़ीलाल ने कहा कि जब तक इन महिलाओं के साथ न्याय नहीं होगा यह संघर्ष जारी रहेगा। पुलिस थाने में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के इंतजाम भी किए है।
इस मामले में किरोड़ीलाला मीणा ने ट्वीटर पर कहा कि सरकार को 3 वीरांगनाओं से इतना डर क्यों है कि पुलिस ने रातोंरात उन्हें उठा लिया। पता नहीं उन्हें कहां लेकर गए हैं? वीरांगनाएं मुख्यमंत्री जी से मिलने की गुहार ही तो लगा रही है। मिलकर उनकी बात सुनने से मुख्यमंत्री जी इतना क्यों घबरा रहे हैं?
मुंह में घास लेकर किया प्रदर्शन
गुरुवार को तीनों वीरांगनाओं ने मुंह में घास (दूब) लेकर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बंगले के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद जब वीरांगनाएं सीएम हाउस कूच करने लगी तो पुलिस ने रोक दिया। वीरांगनाओं ने जमीन पर लेटकर दंडवत होकर सीएम से गुहार लगाई कि अब तो सीएम हमारी बात सुनें। सासंद किरोड़ीलाल का कहना है कि ये वीरांगनाएं अब अधीर हो चुकी है। कई दिनों से ये गुहार लगा रही है लेकिन इनकी सुनवाई नहीं हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गहलोत का कहना है कि इन वीरांगनाओं की मौजूदा मांगे अनुचित है। साथ ही गहलोत का यह भी कहना है कि विपक्ष के नेता अपनी राजनीति के लिए इन वीरांगनाओं का सहारा ले रहे है जो कि नहीं होना चाहिए। ऐसे में इन वीरांगनाओं की भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए।