क्या जल संकट गहरा रहा है?
गर्मियां आ गई है। ऐसे में अधिकांश स्थानों पर जल संकट उत्पन्न होने लगा है। कुआं, तालाब, जोहड़, नदी, नाले सभी सूख रहे हैं। जल स्तर का नीचे चले जाना संकट का विषय है। जल है तो कल है ऐसे में कल को बचाने का प्रयास हमें आज से ही करना चाहिए।
क्या है इसके पीछे मुख्य वजह?
(1) कहीं ना कहीं जल का बढ़ता व्यवसायीकरण जल संकट को उत्पन्न कर रहा है।
(2) बढ़ता डामरीकरण जमीन की जल अवशोषण की शक्ति को कम करता जा रहा है।
(3) वही जनसंख्या की समस्या तो सर्वविदित है। इस अत्यधिक बढ़ती जनसंख्या के लिए जल संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है।
(4) आजकल बढ़ते आर.ओ. सिस्टम भी भू-जल की समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं लोग बोरिंग कनेक्शन और आर.ओ. फिल्टर मशीन लगाकर उनका अंधाधुन प्रयोग कर रहे हैं।
ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह जल के व्यवसायीकरण को रोके। सड़कों से गुजरते हुए जब भारी-भारी टैंकर निकलते हैं। तब उनसे आम इंसान भी प्रभावित होता है। ऐसे टैंकर और इनके मालिक ना तो रोड़ टैक्स देते है। ऊपर से अंधाधुन बोरिंग लगाकर पानी निकालते हैं। सरकार को भू-जल निकालने के लिए बनाए जाने वाले बोरिंग पर रोक लगानी चाहिए। ऐसे बोरिंग जो अधिकांशत व्यवसायीकरण के लिए किए जाते हैं। उन पर रोक लगनी ही चाहिए।
क्या हो समाधान?
व्यवसायिक प्रतिष्ठानों, सरकारी हाउसिंग बोर्ड सोसायटी तथा बड़ी-बड़ी निजी सोसाइटी में जल रिसाइकिलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। आम जनता को भी जागरूक होकर पेयजल को व्यर्थ नहीं बहाना चाहिए। रीसाइकिल, रीयूज ,रिड्यूस पर ध्यान देना चाहिए। घर में लगने वाले आर.ओ. मशीनों के भी मानक तय होने चाहिए। सरकार को हो सके तो पेयजल की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए कि पीने का पानी अलग हो और अन्य कार्यों के लिए पानी अलग हो। साथ ही भवन निर्माण के समय भू-जल व्यवस्था का सुनियोजित तरीके से प्रबंधन किया जाए। घर का कुछ हिस्सा कच्चा छोड़ा जाए। रसोई से निकलने वाले पानी की निकासी वहां की जाए। साथ ही बारिश के पानी को संग्रहित किया जाए।