वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की (Gyanvapi Survey Report) सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिंदू पक्ष के वकली ने कहा कि सर्वे में ऐसे तथ्य सामने आए है जिसके बाद कोई इस बात को नकार नहीं सकता की यहां मंदिर नहीं था। 839 पेज की रिपोर्ट दोनों पक्षों को दी गई और रिपोर्ट में मंदिर होने के 30 से ज्यादा सबूत मिले हैं। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं के लेख भी मिले है।
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शिव के 3 नाम
सर्वे रिपोर्ट (Gyanvapi Survey Report) में बताया गया है कि भगवान शिव के 3 नाम जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर का भी उल्लेख मिला है। मस्जिद के सारे पिलर पहले मंदिर के थे और उन्हें मॉडिफाई कर मस्जिद में इस्तेमाल किया गया। पश्चिमी दीवार से साफ नजर आता है कि वह मंदिर की दीवार है। मंदिर का निर्माण 5 हजार साल पहले नागर शैली में किया गया था।
मस्जिद का गुंबद महज 350 साल पुराना
सर्वे में एक बात का खुलास हुआ है कि मस्जिद का गुंबद महज 350 साल पुराना है। मंदिर परिसर में हनुमान और गणेश की खंडित मूर्तियां और दिवार त्रिशूल की आकृति मौजूद है। मस्जिद में औरंगजेब काल का शिलापट भी मिला है। जदुनाथ सरकार के इस निष्कर्ष पर भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर तो नष्ट करके मस्जिद का निर्माण किया गया है।
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6 फरवरी तक आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं
वाराणसी कोर्ट (Gyanvapi Survey Report) ने 24 जनवरी हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को देने का फैसला सुनाया। जज के सामने लिफाफा खोला गया। रिपोर्ट मिलने के बाद दोनों पक्ष 6 फरवरी तक आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं।18 दिसंबर 2023 को कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई थी । हिंदू पक्ष ने कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी।
लेकिन मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी। कई दिनों तक अमेरिका के वैज्ञानिकों की टीम ने 10 मीटर तक गहराई का गहन अध्ययन किया गया था। ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Survey Report) में वजूस्थल पर बने टैंक की सफाई का काम पूरा कर लिया गया।