एनसीईआरटी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने सत्र 2023- 24 से अपनी पाठ्य पुस्तकों से कुछ चैप्टर हटाए हैं। इन्हीं चैप्टर मैं गोधरा कांड, महात्मा गांधी से जुड़ी कुछ घटनाएं और मुगल इतिहास के कुछ अध्याय हटाए गए हैं। लेकिन राजस्थान के लाखों बच्चों की किताबों में अभी भी यह अध्याय बने रहेंगे।
इतिहास के विषयों को लेकर जिस प्रकार से देश में राजनीति गरमाई है। सत्तारूढ़ पार्टी के साथ-साथ इन दिनों जिस प्रकार से एनसीईआरटी विवादों में घिर रही है। क्या यह पहली बार है? जब पाठ्य पुस्तकों में बदलाव किया गया है। यह कोई नया विवाद नहीं है़। इससे पहले भी मोरारजी देसाई की सरकार में इस विषय पर पर विवाद हो चुका। उसके बाद इंदिरा गांधी की सरकार में पाठ्यक्रम में में बदलाव हुआ। इसके बाद 2005 में अटल बिहारी वाजपेई के समय में भी इसी प्रकार का बदलाव हुआ।
आज यह विषय प्रासंगिक क्यों
राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल के पुराने 2022 -23 पाठ्यक्रम वाली डेढ़ करोड़ किताबें पहले से ही छप कर तैयार हो चुकी थी। यह गोदामों में पड़ी है। जबकि एनसीईआरटी से तय नए सिलेबस के आधार पर मंडल ने तीन करोड़ किताबें नई छापने के आर्डर दे दिए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि तो फिर पुरानी किताबों का क्या होगा? वही दूसरा सवाल यह है । जो नई किताबें आने वाली है। उनके लिए मंडल के पास गोदामों की भी कमी है। ऐसे में गोदाम खाली करने और करीब 100 करोड़ लागत की पुरानी किताबें रद्दी होने से बचाने के लिए सरकार और एनसीईआरटी क्या करेगी?
नया सत्र चालू हो चुका है और प्रदेश भर में बच्चों को किताबें बांटने का क्रम भी शुरू हो गया। ऐसे में शिक्षा विभाग ने प्रदेश भर के सरकारी और निजी स्कूलों के करीब पौने दो करोड़ बच्चों को पुरानी किताब भी बांटना शुरू कर दिया है है। असमंजसता की स्थिति में अध्यापक, अभिभावक और अभ्यार्थी सभी है। किताबे खरीदे या ना खरीदे? इसी संदेह में लोग परेशान है। सच तो यह है कि जिस प्रकार से बाजार में नकली किताबों का बोलबाला भी बढ़ गया है। उससे ग्राहक भी चिंतित है। वे सतर्क होकर नई किताबों की मांग कर रहे हैं। जबकि अधिकांश स्थानों पर इन किताबों का अभाव है।