नई दिल्ली। G-20 बैठक की इस बार अध्यक्षता भारत कर रहा है।भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को एक युद्ध कहने का विरोध किया है। भारत यह भी नहीं चाहता कि जी-20 की बैठकों में सदस्य देश यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंधों को लेकर किसी तरह की जाए। भारत के 6 वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक रूस पर प्रतिबंधों का पूरी दुनिया पर नकारात्मक असर पड़ा है, लेकिन भारत रूस के खिलाफ और अधिक कार्रवाई पर विचार नहीं करना चाहता।
रूस के खिलाफ प्रतिबंधों पर चर्चा
जापान के वित्त मंत्री ने मंगलवार को कहा कि भारत में जी-20 बैठक में जी-7 देशों के समूह के वित्त मंत्री रूस-यूक्रेन युद्ध की पहली वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर मिलेंगे, जिसमें रूस के खिलाफ प्रतिबंधों पर चर्चा की जाएगी। वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक प्रमुखों की इस सप्ताह की जी-20 बैठक में शामिल भारतीय अधिकारियों ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के आर्थिक प्रभाव पर चर्चा की जाएगी लेकिन भारत रूस के खिलाफ और प्रतिबंध लगाने पर विचार नहीं करना चाहता।
दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव
भारत जी-20 के दौरान रूस पर किसी अतिरिक्त प्रतिबंध पर चर्चा करने या उसका समर्थन करने का इच्छुक नहीं है। रूस पर मौजूदा प्रतिबंधों का दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कहा गया है जी-20 विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक आर्थिक मंच है। रूस पर प्रतिबंध लगाना जी-20 का मुद्दा नहीं है। इस पर जब भारत सरकार और वित्त मंत्रालय से टिप्पणी मांगी गई तो प्रवक्ताओं ने किसी तरह का कोई जवाब नहीं किया।
रूस-यूक्रेन युद्ध 'युद्ध' नहीं
जी-20 की एक बैठक में मौजूद 7 देशों के प्रतिनिधियों ने रॉयटर्स से कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का वर्णन करने के लिए किसी शब्द पर आम सहमति नहीं बन पाई। अधिकारियों ने कहा कि भारत ने इस संघर्ष को 'युद्ध' कहकर संबोधित करने के बजाय 'संकट' या 'चुनौती' जैसे शब्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश की लेकिन चर्चा बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई।
प्रतिकूल रूप से प्रभावित
भारतीय विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने पहले कहा था कि युद्ध ने गरीब देशों को ईंधन और भोजन की कीमतों में वृद्धि से प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है। भारत के पड़ोसी देशों – श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश – सभी ने हाल के महीनों में महामारी और युद्ध के कारण उपजी आर्थिक परेशानियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज मांगा है।
रूस पर प्रतिबंध कड़े
अमेरिकी उप ट्रेजरी सचिव वैली एडेयेमो ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने आने वाले दिनों में रूस पर नए प्रतिबंध और निर्यात नियंत्रण लगाने की योजना बनाई है। रेफ्रिजरेटर और माइक्रोवेव जैसे सामानों के रूस को बेचने पर भी प्रतिबंध लगाई जाएगी क्योंकि रूस इनका दोहरा इस्तेमाल कर रहा है। रूस इनके सेमिकंडक्टर को अपनी मिलिट्री के लिए उपयोग में ला रहा है। अमेरिका के नए प्रतिबंधों से रूसी तेल पर और अधिक शिकंजा कसेगा।
भारत का रूस पर रुख नरम
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने रूसी आक्रमण की कभी खुले तौर पर आलोचना नहीं की है। उन्होंने दोनों देशों के बीच के युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने पर बल दिया है। रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है और अब यह रूसी तेल की खरीद में भी काफी आगे निकल गया है। रूस के साथ भारत के संबंध असाधारण रूप से स्थिर हैं और यह वैश्विक राजनीति में अशांति के हर दौर में भी स्थिर रहे हैं।