कर्नाटक चुनाव 2023 सुर्ख़ियों में बने हुए हैं। ऐसे में समुदाय विशेष को साधने की तैयारी भी बीजेपी, कांग्रेस और अन्य दलों ने कर ली है।
जेडीएस ने जहां सबसे ज्यादा 22 फ़ीसदी टिकट वोकालिंगा समुदाय के उम्मीदवारों को दी है। वही कांग्रेस ने इस समुदाय को 20% सीटें दी हैं। एक अनुमान के अनुसार इस समुदाय की आबादी वहां 14 फ़ीसदी है।
किस समुदाय को साधने की सबसे बड़ी तैयारी है
2018 के चुनाव में भी कर्नाटक में एक समुदाय लिंगायत समुदाय सुर्खियों में छाया रहा। इस समुदाय को साधने की सबसे बड़ी तैयारी कौन सा दल कर रहा है?
राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने लिंगायत समुदाय से सबसे अधिक उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं कांग्रेस भी इस समुदाय को साधने में पीछे नहीं ।जबकि जेडीएस में वहां वोकालिंगा जाति के नेताओं को सबसे अधिक टिकट दिए हैं।
क्या है आगे की रणनीति
बीजेपी कांग्रेस और जेडीएस तीनों ही दलों ने धार्मिक , जातीय और सामुदायिक रणनीति शुरू कर दी है इस समीकरण में बीजेपी ने जहां लिंगायत पर दावा खेला है। वहीं कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को साधने की भरसक कोशिश की है। कांग्रेस ने इस समुदाय को करीब 7 फ़ीसदी टिकट दिए हैं। कांग्रेस के यहां से 15 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। साथ ही लिंगायत समुदाय को 23 फ़ीसदी टिकट मिली है। वही बीजेपी ने लिंगायत समुदाय को 30 फ़ीसदी सर्वाधिक टिकट दिए हैं। उधर जेडीएस ने सबसे ज्यादा 22 फ़ीसदी उम्मीदवार वोकलिंगा समुदाय के उम्मीदवारों को दी है। जबकि कांग्रेस ने इस समुदाय को 20 फ़ीसदी टिकट दी है।
कौन है लिंगायत समुदाय
मध्यकाल में समाज सुधार की दिशा में लिंगायत समुदाय का उदय हुआ। यह वही समुदाय है। जिस के जनक बसवन्ना थे। शंकराचार्य के भक्ति आंदोलन की दो शाखा नैयनार और अलवार की ही आगे की नैनयार शिव भक्तों में बसवन्ना ने एक नई शाखा तमिल क्षेत्र में बनाई।
जो आज भी कर्नाटक में सुर्खियों में है और 2018 में भी सुर्खियों में थी जिसे साधने में सभी पार्टी जोर शोर से प्रचार प्रसार मैं लगी है।
हिंदू धर्म से अलग समझने की इनकी मांग को तो खारिज कर दिया गया। लेकिन इस समुदाय को साधने की बीजेपी की भरसक तैयारी है।