स्वाति मालीवाल दिल्ली महिला आयोग की चीफ ने शनिवार 11 मार्च महिला आयोग की ओर से आयोजित पुरस्कार समारोह में अपनी आपबीती सुनाई। किस प्रकार एक लड़की या महिला जीवन भर अपने साथ हुए हादसे को नहीं भूला पाती है।
भावुक हुई स्वाति मालीवाल।
जब हादसे स्वयं के साथ होते हैं। तब इंसान उन्हें गहराइयों से समझ पाता है। इसी के साथ आज भावुक होकर स्वाति मालीवाल ने बचपन में हुए हादसे के बारे में अपनी आपबीती सुनाई।
अपनी आपबीती में उन्होंने अपने पिता पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। बचपन की यादों को वे अभी भी नहीं बुला पाई है ।किस प्रकार उनके पापा चोटी से पकड़कर उन्हें मारते थे। डर के मारे वे बिस्तर के नीचे छुप जाती थी। हमेशा बचने के नए-नए उपाय खोजा करती थी। कभी-कभी तो दीवार से टकराकर उनके सिर से खून भी बहने लगता था।
संघर्ष का सफर याद आया।
समारोह के दौरान जब उन्होंने लड़कियों और महिलाओं की आपबीती सुनी ।तब अंदर की आग फिर से दहक गई। भावुक होकर उन्होंने समाज और सिस्टम की कमजोरियां बताई।
लड़कियों और महिलाओं के हक के लिए ही उन्होंने आगे बढ़ने की ठानी। जब अत्याचार असहनीय हो जाता है ।तब अंदर से एक आग उठती है। जो संघर्ष उत्पन्न करती है ।यही संघर्ष आगे बढ़ने का हौसला देता है। इसी हौसले को वे प्रोत्साहन देने के लिए समारोह में उपस्थित हुई थी।
उद्देश्य।
महिला अगर महिला के साथ खड़ी होती है। तब उसकी शक्ति और बढ़ जाती है। एक महिला दूसरी महिला का दर्द भली-भांति समझ सकती है। ऐसे में स्वाति मालीवाल की भावुक टिप्पणी ने आज सुर्खियां बटोरी।
दिल्ली महिला आयोग के ऐसे कार्यकाल में उन्होंने हमेशा महिलाओं को आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया, हौसला बढ़ाया। वैसे यौन उत्पीड़न के ऐसे मामले अब समाज में उजागर होने लगे हैं। इससे पहले भी दक्षिण भारत की एक अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने ऐसे ही आरोप अपने पिता पर लगाए थे। जिसने सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाई थी।