वैशाख मास की शुक्ल पक्ष सप्तमी गंगा सप्तमी के रूप में मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन गंगा देवी की पूजा-अर्चना कर गंगा में स्नान करने से पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही पितृ दोष दूर होते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस वर्ष गंगा सप्तमी और भी खास हो रही है। इस तिथि पर ग्रह-नक्षत्रों के ऐसे शुभ योग बन रहे हैं, जिससे यह और भी शुभ हो रहा है। इस वर्ष होने वाले महा संयोग से ज्वैलरी, व्हीकल, प्रॉपर्टी हो या कपड़े सभी की खरीददारी शुभ रहेगी।
इस दिन यदि किसी को नया कार्य शुरू करना है और गृह प्रवेश करना है तो भी यह दिन ग्रहों के कारण बहुत उत्तम बन रहा है। जिनके भी पितृ दोष है वे भी यदि इस दिन गंगा किनारे पूजा और श्राद्ध करते हैं तो उन्हें पितृ दोष से राहत मिलती है।
सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और गुरु पुष्य योग
मुहूर्त का राजा माना जाने वाला गुरु पुष्य योग गंगा सप्तमी पर बन रहा है। जिससे शुभ कार्य करने के लिए सोचना नहीं पड़ेगा। इस दिन धन निवेष करना भी उत्तम होगा। यह योग स्थानीय सूर्योदय से अगले दिन सुबह करीब 6 बजे तक रहेगा। जिससे उस दिन ही नहीं अगले दिन सुबह भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार गंगा सप्तमी पर इस साल गुरु पुष्य, अमृतसिद्धि और सर्वार्थसिद्धि योग बना है। सप्तमी तिथि दोपहर करीब 1 बजे तक मानी जाएगी। सूर्योदय के समय गुरुवार को सप्तमी तिथि होने से 27 अप्रैल को ही महायोग बनेगा।
वामनअवतार से जुड़ी मान्यता
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि वामन भगवान जब 3 पग भूमि नाप रहे थे तब उनका तीसरा पग ब्रह्मलोक तक पहुंच गया। ऐसे में वहां पर ब्रह्म देव ने वामन भगवान का पद प्राक्षलन कर कमंडल में ले लिया। तब राजा सगर के 60 हजार मृत पुत्रों का उद्धार करने के लिए भागीरथ ने घोर तप किया। इस तप से प्रसन्न हो वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को शिव की जटाओं में गंगा जी आ गईं।