Maha Shivratri 2024: इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। हिंदुओं की आस्था का यह पर्व हर साल बड़े धूम-धाम से सेलिब्रेट किया जाता हैं। इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा विधि-विधान से की जाती हैं। दुनियाभर के शिवभक्त इस दिन भोले बाबा को अपने-अपने तरीके से खुश करने का प्रयास करते हैं। दुनियाभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जमा होती हैं। यहां हम राजस्थान के प्राचीन शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं।
5 हजार साल पुराना हैं मंदिर!
हम यहां बात कर रहे हैं ‘अंबिकेश्वर महादेव मंदिर’ (Jaipur Ambikeshwar Shiv Mandir) की, जो राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्तिथ हैं। जयपुर को दुनियाभर में ‘छोटीकाशी’ का नाम मिला हुआ हैं। यहां हर हर महादेव और बम बम भोले के जयकारों से नगरिया गूंजती रहती हैं। अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता हैं कि, यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने पूजा-अर्चना की थी। मंदिर का करीब 5000 साल पुराना इतिहास बताया जाता रहा हैं।
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यहां भोलेबाबा खुद प्रकट हुए!
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर राजधानी जयपुर के आमेर में सागर रोड पर स्थित हैं। यहां दूरदराज से भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं। अंबिकेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू है, जोकि भूतल से नीचे है। स्वयंभू का अर्थ होता है, यहां ईश्वर खुद प्रकट हुए है, इनकी स्थापना नहीं की गई थी।
मंदिर की विशेष बात यह हैं कि, सावन के महीने में मंदिर जलमग्न हो जाता है। भूगर्भ का जल ऊपर तक भर जाता है। सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के इस दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती हैं। न सिर्फ भारत से बल्कि विदेशों से भी शिवभक्त अपने प्रभु की झलक पाने के लिए यहां पहुंचते हैं।
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मंदिर में नहीं हैं माता पार्वती
अंबिकेश्वर महादेव मंदिर (Ambikeshwar Mahadev Mandir) का क्षेत्र अंबिका वन के नाम से विख्यात हुआ करता था। मंदिर में भगवान विष्णु का स्वरूप भी विराजमान है। आपकी जानकारी के लिए बता दे, अंबिकेश्वर महादेव कछवाह राजपूत समाज के कुलदेवता के रूप में पूज्य हैं। इस समाज की कुलदेवी जमवाय माता (Jamvay Mata) हैं। जयपुर के इस अंबिकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के साथ माता पार्वती विराजित नहीं हैं।
कहते हैं मंदिर में विराजमान ‘नंदी जी’ करीब 3000 वर्ष से भी ज्यादा पुराने हैं। मंदिर परिसर में कई हिंदी फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है, जिसमें धड़क, भूल भुलैया जैसे सुपरहिट नाम शामिल हैं। इन फिल्मों में मंदिर के कुछ दृश्य फिल्माए गए हैं। कई शॉर्ट मूवीज की शूटिंग भी यहां की जा चुकी हैं।