Hijri Calendar 2024: पूरी दुनिया में आम तौर पर अंग्रेजी रोमन कैलेंडर चलता है जो सूर्य पर आधारित होता है, जिसमें 365 या 366 दिन होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुस्लिम कैलेंडर हिजरी चांद पर आधारित होता है। जिसमें हर साल 11 दिन कम हो जाते हैं। यानी इस्लामी कैलेंडर (Hijri Calendar 2024) में एक साल में केवल 354 दिन होते हैं। तभी तो ईद हो या रमजान हर साल 11 दिन पहले आ जाते हैं। जैसे पिछले साल रमजान 22 मार्च 2023 से शुरु हुआ था, लेकिन इस बार 11 या 12 मार्च 2024 से शुरु होगा। तो चलिए हिजरी कैलेंडर की इस अनोखी खासियत पर नजर डालते हैं।
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हिजरी 11 दिन पहले क्यों आ जाता हैं?
हिजरी कैलेंडर चांद पर निर्भर करता है। चांद का पूरा चक्कर 27 या 28 दिन में पूरा हो जाता है। यही वजह है कि हिजरी संवत के एक साल में 354 या 355 दिन ही होते हैं। हालांकि हिजरी में भी 12 महीने होते हैं। चूंकि चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार हिजरी कैलेंडर को संयोजित नहीं किया जाता, लिहाजा ये हर साल 11 दिन पीछे खिसक जाता है। यही वजह है कि ईद हो या रमजान हर साल 11 दिन पहले आ जाते हैं। एक मुसलमान 33 साल के कालचक्र में पूरे त्योहार हर मौसम में देख लेता है। मतलब मार्च के महीने में आने वाला रमजान का महीना 33 साल बाद वापस मार्च में आता है।
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चांद से क्या है मुसलमानों का रिश्ता?
मुसलमानों का इस्लामी हिजरी कैलेंडर चांद पर आधारित होता है। यानी चांद दिखने पर शाम से ही मुस्लिम महीने की शुरूआत हो जाती है। मसलन चांद दिखते ही ईद का पर्व शुरु हो जाता है। चांद दिखने पर ही ईद बकराईद मुहर्रम और रमजान की पुष्टि की जाती है। मुहर्रम हिजरी का पहला महीना होता है। इसी दिन से नया इस्लामिक हिज़री साल शुरू हो जाता है। भारत में 20 जुलाई 2023 से हिजरी 1445 शुरू हो गया है।
दूसरे संवत से कितना अलग
रोमन महीने मौसम के लिहाज से स्थिर रहते हैं, चूंकि वे सूर्य पर आधारित होते हैं। जबकि मुस्लिम हिजरी कैलेंडर चांद पर आधारित होता है, सो चांद के अनुसार हर साल 11 दिन का अंतर आ जाता है। वैसे अंग्रेजी ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य आधारित है, तभी तो जनवरी हमेशा सर्दी में ही आती है। हिंदू विक्रम संवत अभी 2080 और शक संवत 1945 चल रहा है।
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कब शुरू हुआ इस्लामी हिजरी कैलेंडर?
इस्लामिक कैलेंडर यानि हिज़री की शुरुआत 622 ईस्वी में हुई, जब पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब ने मक्का छोड़कर मदीना प्रस्थान किया। हिजरत के मानी है कही जाना तो इसी से बना हिजरी कैलेंडर। 622 ईस्वी में आखिरी नबी के मदीना जाने को हिजरत कहा गया, इसी दिन से हिजरी कैलेंडर की शुरुआत हुई। परंपरागत रूप से इस्लामी दिन सूर्यास्त से शुरू होता है तथा अगले दिन सूर्यास्त पर समाप्त होता है।