कैसा अदृश्य, अनोखा दर्द होगा उस औरत का जिसके हाथ की चाय पीना लोग गवारा ना समझे पर आंखों से उसे पी डालते हैं। हां, हम बात कर रहे हैं। समाज की उन महिलाओं की जिन्हें मुख्यधारा से काट दिया गया है। कभी गणिका, कभी वैश्या, तो कभी सेक्स वर्कर क्या नाम हो इनका इसी पर हालिया विवाद चल रहा है। जिसमें रेड लाइट की इन औरतों ने अपना दर्द जाहिर करते हुए मांग की है कि इन्हें सेक्स वर्कर की जगह यौन कर्मी कहा जाए।
क्या कोई स्वेच्छा से सेक्स वर्कर बनता है
समाज में व्यभिचार ना फैले इसके लिए समाज ने हीं इन्हें रचा और बढ़ाया। आज समाज ही इन्हें ताने और गालियां देता है। क्या कोई स्वेच्छा से सेक्स वर्कर, वैश्या बनता है? शायद पेट की भूख जिस्म की भूख से बड़ी होती है, पापी पेट क्या नहीं करवाता?
कोरोना काल में इनकी दुर्दशा सबने देखी थी। पूरे धंधे चौपट हो गए थे, इन औरतों के। पुरुषों ने डर के मारे जाना बंद कर दिया। कहा से जीवन यापन करती यह महिलाएं?
क्यों समाज के बुद्धिजीवी, प्रबुद्ध लोग इनके लिए आवाज नहीं उठाते? अक्सर जो फिल्मों में देखते हैं वह भी वास्तविकता का आईना होता है। कौन जाने किसका भाई, किसकी बहन इन गलियों में घूम रही होगी ।अपने पूर्वजों की निशानी लिए फिर रही होगी?कोई तो बाप होगा इनका, जिसने यौन कर्मचारियों के बच्चों को लावारिस छोड़ दिया।
चर्चित मामला यह है कि अब सेक्स वर्कर अपने आप को यौन कर्मी कहलाना पसंद कर रही है। उन्होंने कोठा छोड़ा या कोठे ने उन्हें छोड़ा, इनसे यह सच उगलवाना मुश्किल है, लेकिन कोठे के नर्क से निकलकर यह अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी सवार रही है। बदलाव की बयार में सरकार और समाज को सहयोग देना चाहिए।
आज दिल्ली, मैसूर, मुंबई, बनारस कि कई सेक्स वर्कर है जो चाय की थड़ी से लेकर स्टार्टअप तक अपनी पहुंच बना रही है।
एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को भी पेशा माना था। ऐसे प्रश्नों का हमें स्वागत करना चाहिए। यौन कर्मियों को भी सम्मान और समान हक मिले इसी पर 2022 में एक ऐतिहासिक फैसला आया था। जिसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमामय जीवन का अधिकार माना गया। यही नहीं भारत समेत दुनिया के 53 देशों में वेश्यावृत्ति कानूनी है।
नेशनल ऐड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, के आंकड़ों की माने तो सबसे अधिक यौन कर्मी इस समय आंध्र प्रदेश में है। उसके बाद कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल का स्थान आता है।