लखनऊ- नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में दस नगर निगमों में मतदान होगा। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस तथा बसपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपना अस्तिव कायम रखना है। वहीं अगर भाजपा की बात करें तो भाजपा के सामन सबसे बड़ी चुनौती अपने रिकॉर्ड को कायम रखने की है। भाजपा ने 2017 में इन सिटों पर कब्जा किया था। अब ऐसे में क्या भाजपा 2017 का रिकॉर्ड बरकरार रख पाएगी। लोकसभा चुनाव का पूर्वाभ्यास के रूप में देखा जा रहा है नगर निकाय चुनाव को। इस चुनाव में कांग्रेस, समाजवार्दी पार्टी तथा बसपा ने अपना अस्तित्व बचाने के लिए प्रत्याक्षी मैदान में उतारे है। यह तो चुनावी नतिजे ही तय करेगे आखिर भाजपा को रिकॉर्ड कायम रहता है या कांग्रेस बसपा और समाजवादी पार्टी अपना अस्तित्व बचा पाती है। इस चुनावी घमासान में कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है निकाय चुनाव के नतीजों का सिधा असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। ज्यादातर जगह सपा और भाजपा के बी च सीधा मुकाबला है। और कहीं जगह पर बसपा तथा कांग्रेस के प्रत्याशी त्रिकोणीय संघर्ष बना रहे है।
पिछले चुनाव की बात करें तो 2017 मे हुए निकाय चुनाव में भाजपा ने 16 में से 14 नगर निगम में जीत दर्ज की थी अलीगडढ़ औरा मेंरठ में भाजपा पिछे रह गई थी। पहले चरण में मतदान 4 मई को होगा। जिसमें सहारनपुर, मुरादाबाद आगरा, झांसी, प्रयागराज, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, मथुरा-वृंदावन और फिरोजाबाद शामिल है।
भाजपा ने ताकत झोंकी
भाजपा सरकार ने अपनी जीत को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकर झोंक दी है। चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 21 जिलों का दौरा किया है साथ ही चुनावी सभाएं की है। गोरखपुर तथा वाराणसी में मुख्यमंत्री ने रैलियां भी की पार्टी का प्रचार किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी चुनाव प्रचार में कसर नहीं छोड़ी चौधरी ने प्रतिदिन तीन से चार जिलों का चुनावी दौरा किया। भजपा ने सेंधमारी में भी कोई कसर नहीं छोड़ी भाजपा ने कांग्रेस बसपा और सपा के नेताओं को पार्टी में शामिल करने प्रयास भी किया।
अखिलेश निकले दौरे पर, मायावती ने बनाई दूरी
सपा के पास नगर निगम में अस्तित्व बचाने का मौका है। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव प्रचार में शामिल हुए है। यादव ने रोड शो सभा के जरीए चुनाव प्रचार किया। मायावती ने चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए है। मायावती ने 10 नगर निगम में प्रत्याशी उतारे है। बसपा के प्रत्याशी मंडल समन्वयकों के समन्वय से ही चुनाव लड़ रहे है।