Basant Panchami 2024: इस वर्ष वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जा रहा हैं। इस दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करने का महत्त्व हैं। यह पर्व माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता हैं। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना से सद्बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती हैं। बसंत पंचमी के अवसर पर हम आपको राजस्थान के ऐतिहासिक सरस्वती मंदिर के बारे में बता रहे हैं। चलिए जानते हैं उस खास मंदिर के बारे में-
शेखावाटी क्षेत्र में शारदापीठ
हम बात कर रहे हैं, राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के झुंझुनू जिले में पिलानी में स्थित बिड़ला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान परिसर के शारदापीठ की। बिट्स कैंपस में राजसी सफेद संगमरमर से इस खास मंदिर का निर्माण हुआ हैं, जिसे बिड़ला परिवार ने बनवाया हैं। इस मंदिर का शिलान्यास 1956 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता महामना मदन मोहन मालवीय ने किया था। यह बेहद खास सरस्वती मंदिर हैं।
यह मंदिर खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर की शैली पर तैयार हुआ हैं। इस शारदापीठ को 300 से अधिक श्रमिकों और शिल्पकारों की मदद से करीब 4 साल में तैयार किया गया। मंदिर पूरी तरह सन 1960 में बनकर तैयार हो चुका था। उस समय में इस मंदिर के निर्माण में करीब 23 लाख रुपए खर्च हुए थे।
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शारदापीठ मंदिर की खासियतें-
(Sharda Peeth Temple ..)
- यह मंदिर खजुराहो के कंदारिया महादेव मंदिर की शैली पर निर्मित हैं।
- 25 हजार वर्ग फीट में बना यह शारदापीठ मंदिर 70 स्तंभों पर खड़ा है।
- मंदिर के पांच अलग-अलग खंड हैं- गर्भगृह, प्रदक्षिणापथ, अंतराला, मंडपम और अर्ध मंडपम।
- इस मंदिर की पूरी संरचना सात फीट ऊंचे बेसमेंट पर बनी है।
- पूरे मंदिर में राजस्थान के मकराना का सफेद संगमरमर लगा है।
- मुख्य गर्भगृह में मां शारदे की खड़ी मुद्रा में मनमोहक मूर्ति स्थापित है।
मां सरस्वती की मूर्ति की खासियत
(Maa Saraswati Murti Specialty)
मंदिर के मुख्य गर्भगृह में मां शारदे की खड़ी मुद्रा में मनमोहक मूर्ति स्थापित है। मां के हाथ में वेद शास्त्र और वीणा है। इस मूर्ति को कोलकाता से बनवाया गया था। गर्भगृह के ऊपर का शिखर 110 फीट ऊंचा है। मंदिर के सभी शिखरों पर सोने से सुसज्जित तांबे से बने मुकुट समान कलश रखे गए हैं।
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मंदिर की दीवारों पर महापुरुष
(Mandir Walls Specialty)
शारदापीठ के स्तंभों और दीवारों पर देवी-देवताओं के साथ विशिष्ट महापुरुषों की पत्थर से तस्वीरें उकेरी गई हैं। इनमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महान गणितज्ञ आर्यभट्ट, होमी जहांगीर भाभा समेत करीब 1267 प्रतिमाएं उकेरी हैं।
इसके अलावा मंदिर की सबसे खास बात यह हैं कि ‘सुबह-शाम आरती के वक्त या अन्य किसी समय घंटी या अन्य कोई वाद्ययंत्र नहीं बजाते हैं, ताकि ध्यान मुद्रा में बैठे साधक और मेडिटेशन कर रहे लोगों को परेशानी न हो।