भारत में हजारों वर्ष पहले भी वेलेंटाईन डे जैसा पर्व मनाते थे।

कामदेव को समर्पित इस पर्व को मदनोत्सव कहा जाता था।

संस्कृत नाटक चारूदत्त में भी मदनोत्सव का उल्लेख मिलता है

इसे वास्तव में बसंत ऋृतु के आगमन का प्रतीक माना गया था।

इस दिन कामदेव और रति की प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा होती थी।

पूरे राज्य के सभी नागरिक धूमधाम से मनाते थे मदनोत्सव का पर्व।

पर्व में युवा अपनी प्रेमिकाओं को विवाह के लिए प्रपोज भी करते थे।

शास्त्रों में मदनोत्सव को मित्रता, प्रेम और आनंद का पर्व कहा है।

आदिवासियों में आज भी मदनोत्सव से मिलते पर्व मनाए जाते हैं।

इन पर्वों पर लगने वाले मेलों में लड़के-लड़की भागकर शादी करते हैं।