जयपुर। उत्तर प्रदेश के वृंदावन (Vrindavan) में अखिल भारतीय संतमत सत्संग का 112वां अधिवेशन (Akhil Bhartiya Santmat Satsang Maha Adhiveshan) का आयोजन किया जा रहा है। यह महाधिवेशन दिनांक 24, 25 एवं 26 फरवरी 2024 को आयोजित किया जा रहा है। इस महाधिवेशन के आयोजन आनंद फार्म, शांति सेवा धाम के सामने, मां वैष्णो देवी मंदिर के निकट, छटीकरा वृदावन उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सभी सत्संग प्रेमियों को आमंत्रित किया गया है।
महर्षि मेही परमहंस भारतीय सन्त और ध्यानगुरु थे, जिनका जन्म 1885 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1986 में हुई थी। वे आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान और साधना के क्षेत्र में प्रसिद्ध थे और उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। महर्षि मेही परमहंस ने ध्यान मार्ग को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित किया और उनका ध्यान संचालन करने का तरीका आज भी उनके अनुयायियों द्वारा अनुसरण किया जाता है।
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महर्षि मेही परमहंस ने संत मत के अनुसार आत्मा का मूल्यांकन किया और मानव जीवन के उद्देश्य को समझाया। उन्होंने योग, ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास के माध्यम से आत्मा के विकास को प्रमुखता दी। उनके शिष्यों को वे सदैव सत्य, निष्काम कर्म, और प्रेम के माध्यम से जीवन जीने का उपदेश दिया।
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महर्षि मेही परमहंस का जीवन परिचय और उनके शिष्यों के साथ किए गए साधना सम्बंधी अनुभवों का विस्तारपूर्वक वर्णन उनके ग्रंथों में मिलता है। उनका उपदेश आध्यात्मिक जागरूकता और सच्ची ध्यान प्रक्रिया के माध्यम से मनुष्य को उसके आत्मिक स्वरूप की पहचान में सहायक होता है। महर्षि मेही परमहंस का योगदान आध्यात्मिक साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है और उनके शिष्य उनकी उपदेशों को आज भी अपनाकर आत्मविकास और मुक्ति की ओर अग्रसर हैं।