राजस्थान में राजपूतों और मुगलों की जंग की कहानियां तो बहुत (viramdev firoza love story) सारी लेकिन कुछ ऐसी कहानियां है जिनके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी प्रेम कहानी से जुड़ी घटना बता रहे है जो इन दिनों बहुत ज्यादा चर्चा में है। जालोर में वीरमदेव की 18 फीट ऊंची और 3 टन वजनी प्रतिमा टुंकाली पहाड़ी पर स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। लेकिन वीरमदेव की कहानी के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है।
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अलाउद्दीन खिलजी से लड़ी जंग
खिलजी वंश का सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी राजस्थान पर कई हमले कर चुका था। (viramdev firoza love story) लेकिन उसकी सेना को कई बार हार का सामना करना पड़ा और जालोर वंश के राजकुमार वीर वीरमदेव ने उसको हराया। लेकिन इस जंग की कहानी एक प्रेम कहानी से जुड़ी है। खिलजी के बेटी फिरोजा को वीरमदेव से एकतरफा प्यार हो गया था और प्यार जब पूरा नहीं हुआ तो जंग में वह मारा गया।
ऐतिहासिक युद्ध की याद दिलाएगी मूर्ति
3 टन वजनी मूर्ति वीरमदेव की हमेशा याद दिलाती रहेगी। (viramdev firoza love story) जालोर में कान्हड़देव के पुत्र वीर वीरमदेव की अष्टधातु से बनी प्रतिमा टुंकाली की पहाड़ी पर लगाई जाएगी। इस मूर्ति को बनाने में 2 साल का समय लगा है और यह मूर्ति 10 किमी दूर से दिख जाएगी।
खिलजी को सोमनाथ नहीं जाने दिया
जालोर के कान्हड़देव के पुत्र वीरम देव ने दिल्ली सल्तनत को बहुत परेशान किया। (viramdev firoza love story) अलाउद्दीन खिलजी की तुर्क सेना जब गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर को लूटने के लिए निकली तो उसे जालोर से गुजरने का रास्ता नहीं दिया। इसके बाद खिलीज ने बदला लेने के लिए जंग करने का फैसला किया।
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वीरमदेव के लिए फिरोजा ने दी जान
बताया जाता है कि खिलजी की बेटी फिरोजा ने राजकुमार वीरमदेव को पहली बार देखा तो वह उससे प्यार कर बैठी। लेकिन वीरमदेव ने अलाउद्दीन की बेटी से रिश्ते का प्रस्ताव ठुकरा दिया। (viramdev firoza love story) बेटी प्यार को पाने के लिए तड़प रही थी और वीरमदेव वीरगति को प्राप्त हुए। इस बात को सुनकर फिरोजा अंदर से टूट गई और उसने यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।