अजमेर की टाडा कोर्ट ने सीरियल बम ब्लास्ट (1993 Serial Bomb Blasts case update 2024) मामले में करीम टुंडा को बरी करने का फैसला दिया है। इस के साथ ही आतंकवादी इरफान और हमीदुद्दीन को दोषी माना है। टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन को लेकर टाडा कोर्ट कड़ी सुरक्षा में लेकर पहुंचे थे। 6 दिसंबर 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाके के मामले में तीनों आरोपी हैं। 20 साल पहले टाडा कोर्ट ने ही 16 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर शेष की सजा बहाल रखी रखी।
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देशभर में केवल तीन अदालत
टाडा कानून के तहत पकड़े जाने वाले आरोपियों की सुनवाई के लिए देशभर में केवल तीन विशेष अदालत ही बनाई गई है। मुंबई, अजमेर और श्रीनगर में इनकी स्थापना हो रखी है। (1993 Serial Bomb Blasts case update 2024) उत्तर भारत से जुड़े ज्यादातर मामलों की सुनवाई अजमेर की टाडा कोर्ट में होती है। दक्षिण भारत से जुड़े मामलों में मुंबई में होती है।
ISI से ट्रेनिंग ली
अब्दुल करीम उर्फ टुंडा ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से ट्रेनिंग ली थी। (1993 Serial Bomb Blasts case update 2024) 1993 में ट्रेन विस्फोट के वक्त टुंडा लश्कर का विशेषज्ञ था। बम बनाते हाथ कट गया और इसके कारण उसका नाम ‘टुंडा’ पड़ा।