जयपुर। Shah Daulah Ka Chuha : पाकिस्तान में लोगों को शाह दौला का चूहा बनाया जाता है जिसके बारे में जानकर हर कोई हैरान हो जाता है। जी हां, हम सामान्य चूहों की बात नहीं कर रहे बल्कि इंसानी चूहों की बात कर रहे हैं जिन्हें पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुंजरावाला में स्थित शाह दौला की मजार पर बनाया जाता है। बचपन से लोगों को शाह दौला का चूहा बनाने की प्रक्रिया और इसके पीछे का कारण जानकर किसी का भी कलेजा फट सकता है। हालांकि, यह क्रूरता वाला काम होने के बावजूद पाकिस्तान में शाह दौला की मजार पर धार्मिक आस्था के नाम पर लोगों को चूहा बनाने का यह काम लगातार चला आ रहा है। इन चूहा लोगों की शरीरिक बनावट विकृत करके भीख मंगवाई जाती है। पाकिस्तान में शाह दौला के चूहों से भीख मंगवाने का कार्य अब एक बिजनेस का रूप ले चुका है जिससें लोग परेशान हो चुके हैं। क्योंकि पाकिस्तान में शाह दौला के चूहा लोगों की संख्या काफी बढ़ चुकी है।
पाकिस्तान शाह दौला और उनकी मजार (Pakistan Shah Daulah Ki Mazar)
शाह दौला के चूहों के बारे में जानने से पहले हम यह जान लें कि शाह दौला है कौन और क्यों यहां पर लोगों को चूहा बनाया जाता है। शाह दौला का असली नाम सैयद कबीरुद्दीन शाह था जिनका जन्म 1581 ईस्वी में हुआ था। शाह दौला के जन्म के समय ही उनके पिता का निधन हो गया था और 5 वर्ष की आयु में उनकी माता का भी इंतकाल हो गया। कहा जाता है कि शाह दौला जवानी की उम्र आते-आते सूफी संत हो गए। शाह दौला की मजार पाकिस्तान के पंजाब राज्य के गुंजरावाला के पास स्थित है।
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शाह दौला की मजार पर आते हैं बेऔलाद औरतें (Unfertilized Women on Shah Daulah Mazar)
शाह दौला की मजार को लेकर यह मान्यता है कि यहां बेऔलाद औरतें आकर औलाद के लिए अर्जियां लगाती हैं और उनकी मन्नत पूरी हो जाती है। और यहीं से शुरू होता है शाह दौला के चूहों का सिलसिला। जी हां ये औरतें अपनी पहली औलाद इसी मजार पर भेंट करती हैं जो आगे चलकर अविकसित और चूहे जैसी शक्ल की महिला या पुरूष होते हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस मजार पर एक महिला चूहा का भी आशीर्वाद पाना जरूरी होता है। बताया जाता है कि शाह दौला मुगल बादशाह औरंगजेब के समय तक पंजाब प्रांत में रहते थे।
पाकिस्तान में नहीं लोगों को चूहा बनाने पर बैन (Shah Daulah Chuha Ban in Pakistan)
पाकिस्तान में शाह दौला की मजार पर लोगों को चूहा बनाने को लेकर उर्दू अफसानानिगार सआदत हसन मंटो ने पहली कहानी लिखी थी। हालांकि, भारत का बंटवारा होने पर पाकिस्तान जाने के बाद उन्हें मंटो को अपने काम की खूब सजा भी मिली। उन्होंने लिखा था कि शाह दौला की मजार पर मजहब के नाम पर लोगों को चूहा बनाने का एक गोरखधंधा है। उन्होंने लिखा था कि शाह दौला की मजार पर भेंट किए गए बच्चे ऐसी शक्ल के हो जाते हैं। न तो उनका दिमाग विकसित होता है और न ही उनका सिर।
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अंग्रेजों ने भी लगाया था लोगों को चूहा बनाने पर बैन (British Govt Ban on Shah Daulah Chua)
कहा जाता है कि शाह दौला की मजार पर लोगों को चूहा बनाने के काम पर भारत में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भी किया गया था, लेकिन इतना तगड़ा विरोध हुआ कि यह बैन हटाना पड़ा। इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत को अपना गला बचाने के लिए इसको माइक्रोसेफली बीमारी बताकर पल्ला झाड़ना पड़ा। इस बीमारी में व्यक्ति का शरीर तो विकसित होता है, लेकिन सिर और दिमाग विकसित नहीं।