अर्थव्यवस्था को मजबूत और 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने के प्रयास में मोदी सरकार विकसित देशों के इन्फ्राट्रक्चर से भी अधिक इन्वेस्ट कर रही है, देश के आधारभूत ढांचे को सुधारने और विकसित करने में। इसे विकसित करने के लिए चालू वित्त वर्ष में 122 अरब डॉलर खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है।
करंट फाइनेंशियल ईयर में भारत अपनी जीडीपी सकल घरेलू उत्पाद का 1.7% भाग ट्रांसपोर्ट और आधारभूत ढांचे पर खर्च करने जा रहा है। यह प्रतिशत अमेरिका और यूरोपीय देशों में होने वाले खर्च से भी दुगना माना जा रहा है। इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। सीपोर्ट, बंदरगाह से संबंधित आधारभूत ढांचे को भी मजबूत किया गया है।
आधारभूत ढांचे पर अधिक खर्च करने का मुख्य कारण रोजगार में वृद्धि करना भी है। अमेरिका और यूरोप से अधिक खर्च करने के पीछे सरकार की मंशा देश को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना है। इस बार वित्त वर्ष 2023 -24 में ट्रांसपोर्ट इन्फ्राट्रक्चर पर 122 अरब डॉलर खर्च करने जा रही है। भारत सरकार का ध्यान समुद्री परिवहन से लेकर रेलवे, लॉजिस्टिक , लॉजिस्टिक, लैंड तक सभी को विकसित करना है।
अधिकारिक आंकड़ों की माने तो मोदी सरकार चालू वित्त वर्ष में 2. 4 करोड रुपए का पूंजीगत खर्च करने जा रही है। जो कि 2013-14 में किए गए खर्च से 9 गुना ज्यादा है। इसी के अंतर्गत सरकार द्वारा वंदे भारत ट्रेन भी शुरू की जा रही है।
पूंजीगत व्यय क्या होता है?
सरकार अपनी राजकोषीय नीति बनाती है। इसी नीति में सरकार राजस्व, आय- व्यय, घाटा ,बचत, पूंजीगत, आय -व्यय आदि का लेखा-जोखा प्रदर्शित करती है। पूंजीगत व्यय से भावी भविष्य में पुनः पूंजी और रोजगार की प्राप्ति होती है। ऐसे में किसी भी सरकार का पूंजीगत व्यय बढ़ना देश की विकास की गति को प्रभावित करता है।
कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था में थोड़ी मंदी आई। लेकिन केंद्र सरकार अपने इरादों पर मजबूत है ।वह भारत को मौजूदा 3.5 ट्रिलियन डॉलर से 5 ट्रिलियन डॉलर पर लाने का भरसक प्रयास कर रही है।