जमीन को लेकर एक महीने पहले सुसाइड कर भगवान के पास जाने वाले रामप्रसाद के परिवार को अब भी राहत नहीं मिलेगी। मंदिर गिरधारी जी की ओर से लगाई गई एक याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें यह जमीन खाली करनी होगी। जिसके कारण उसने अपनी जीवन लीला समाप्त करनी पड़ी थी। जयपुर के जलेबी चैक इलाके में रहने वाले राम प्रसाद मीणा ने इस जमीन पर मकान न बना पाने से परेशान होकर यह कदम उठाया था। इस सब के बाद भी उसके परिवार को यह जमीन खाली करनी पड़ेगी। यह फैसला बुधवार को जयपुर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सुनाया। यही नहीं 1 अगस्त तक इस परिवार को यह जगह मंदिर परिसर के सुपुर्द भी करनी होगी।
मंदिर की ओर याचिका में कहा गया है कि 2008 में किराया अधिकरण जयपुर महानगर की ओर से अंतिम आदेश पारित किया गया था। जिसमें मंदिर के पास की इस जमीन को खाली किये जाने का फैसला कोर्ट की ओर से सुनाया गया था। जिसके खिलाफ रामपाल के पिता ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी गुहार लगाई थी।
2017 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के अनुसार जून 2018 तक इस पर कब्जा दिया जाना था। इस के बाद भी यह जगह खाली नहीं हुई। जिस पर कोर्ट ने वापस सुनवाई की गई और इस क्षेत्र के अमीन को जगह खाली करवाने के निर्देश दिए।
परिवार ने कहा निगम से लिया है पट्टा
राम किशोर मीणा के परिवार का कहना है कि नगर निगम से 2017 में स्टेट ग्रांड का पट्टा भी उन्हें मिल चुका है। 2023 में इस पट्टेशुदा जमीन पर उनके परिवार ने मकान बनाना शुरू किया था। जिसे नगर निगम हेरिटेज ने रोक कर गार्ड तैनात किए थे। मीणा ने अपने परिजनों के साथ विधायक महेश जोशी और कई अधिकारियों से इसमें मदद मांगने गए। कहीं से मदद न मिलने के बाद 17 अप्रैल को राम प्रसाद मीणा सुसाइड कर लिया था। जिसके बाद धरना प्रदर्शन भी किया गया था।