Ramadan Taraweeh: मोहब्बत की नायाब निशानी ताज महल को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आगरा आते हैं। कुछ लोग चांदनी रात में ताज के दीदार करने को आते हैं। लेकिन साल में एक महीना ऐसा भी आता है, जब ताज महल पूरे 28 दिन तक रात में भी खुलता है। हालांकि रात में प्रवेश सिर्फ आगरा के ही लोगों को मिलता है। ताजमहल रमजान के महीने में रात के वक्त तरावीह की नमाज (Ramadan Taraweeh) के लिए खुलता है। शाम को ताजमहल बंद होने के बाद जब सभी पर्यटक चले जाते हैं, उसके आधे घंटे बाद रात में Ramadan की Taraweeh तरावीह की नमाज के लिए ताजमहल दुबारा खुलता है। तो चलिए जानते है इस अनोखे रात्रि दर्शन के बारे में।
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ताज महल में रमजान की नमाज होगी
(Ramadan Taraweeh in Taj Mahal)
रमजान के महीने में जैसे ही चांद नजर आता है तरावीह की नमाज रात के समय शुरु हो जाती है। ताज महल में रमजान के दौरान 28 दिन तक Taraweeh की नमाज अदा की जाती है। हालांकि इसमें केवल आगरा के मूल निवासी ही नमाज पढ़ने आ सकते हैं। सभी नमाजियों की एंट्री की जाती है, उनको गेट पर एंट्री से पहले अपना पूरा विवरण और पहचान पत्र की फोटोकॉपी देनी पड़ती है।
कड़ी सुरक्षा के बीच होती है Taraweeh
ताज महल में तरावीह की नमाज एएसआई के अधिकारियों और सीआईएसएफ के जवानों की कड़ी सुरक्षा निगरानी में होती है। इस दौरान Taraweeh की नमाज में आने वाले लोगों की कड़ी जांच की जाती है। नमाज के दौरान सुरक्षा को लेकर खास इंतजामात किए जाते है। तरावीह की नमाज दो घंटे चलती है, उसके तुरंत बाद ही सभी नमाजियों को ताज महल से बाहर निकालने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
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रमजान में ताज महल का दीदार
रमजान के दौरान ताज महल का रात्रि दर्शन पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है। ताजमहल केवल नमाजियों के लिए रात के समय खुलता है। ताज के गेट पर एक रजिस्टर रखा जाता है, जिसमें लोकल नमाजियों के आने-जाने का समय और आधारकार्ड, मोबाइल नंबर, घर का पता आदि जानकारी दर्ज की जाती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि 11 मार्च 2024 को चांद नजर आते ही ताज में रात्रि दर्शन बंद हो जाएगा। 28 दिन तक रात के समय केवल तरावीह की नमाज के लिए ताजमहल खोला जाएगा।
11 मार्च को हो सकती है पहली तरावीह
चांद के दीदार के हिसाब से 11 या 12 मार्च को पवित्र रमजान का महीना शुरू हो जाएगा। रमजान के पहले दिन से ही रोजा, नमाज, इबादत और तसवीह का सिलसिला शुरू हो जाता है। चांद दिखते ही रात के समय पहली तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। इसमें 20 रकाअत होती है, ये ईशा की नमाज के बीच में पढ़ी जाती है।