जयपुर। राजस्थान में एक ऐसा किसान भी है जो पशुपालन के जरिए कॉर्पोरेट जगत में अपना काफी नाम कमा चुका है। ये पशुपालक और किसान भीलवाड़ा जिले के है। इनका नाम सूरत राम जाट हैं। उन्होंने नौकरी छोड़कर अपना भाग्य पशुपालन में आजमाया। आज के समय में वे देसी गायों का पालन कर इससे लाखों रुपये महीना कमा रहे हैं। दरअसल, देसी गाय के घी की मांग मार्केट में काफी ज्यादा है। ऐसे में इनके गाय के देशी घी की क्वालिटी की वजह से 4500 रुपये प्रति लीटर आसानी से ऑनलाइन बिकता है।
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कान्हा की बांसुरी वाले भजन सुनती हैं गायें
सूरत राम जाट की गायों का पालन-पोषण भी अनोखे तरीके से होता है। ठीक वैसे ही जैसा हम शास्त्रों में पढ़ते आए हैं। सूरत राम जाट की गायें भगवान कृष्ण के भजनों की ऐसी दीवानी हैं कि गौशाला में जब भगवान कृष्ण की बांसुरी के भजन बजते हैं, तो गायें ध्यान लगाकर भजन सुनने के लिए इकट्ठा हो जाती हैं। मानो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजा रहे हों, वैसा ही नजारा अब यहां भी देखने को मिलता है।
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4500 रु प्रति लीटर बिकता है घी
पशुपालक सूरत राम जाट ने बताया कि पहले वे कॉरपोरेट क्षेत्र में नौकरी करते थे। अब देसी गिर नस्ल की गायों के पालन का काम शुरू किया है। उन्होंने गाय का दूध बेचने के स्थान पर दूध से घी बनाकर उसे ऑनलाइन 4 हजार से 4500 हजार रुपये लीटर बेच कर लाखों रुपए महीना कमाने लगे हैं।
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ऐसे रखा जाता है गायों का ख्याल
सूरत राम जाट इन गायों को भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी के भजन भी सुनाते हैं। इस गौशाला की दीवारों पर श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण से जुड़े कोटेशन लिखे हुए हैं। गौशाला में गायों के रहने की व्यवस्था इस प्रकार कर रखी है, जैसे परिवार में लोगों को रहने के लिए की जाती है। गर्मी से गायों को निजात दिलाने के लिए पंखे लगा रखे हैं। गौशाला में प्रत्येक 10 फीट पर स्पीकर लगे हुए हैं, जिन पर दिन-रात कान्हा के भजन चलते रहते हैं।
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देसी नस्ल की गायें कर रही कमाल
सूरत राम का कहना है कि उनके पास अभी गिर और देसी नस्ल की 70 गाय हैं, जिनकी संख्या बढ़ाकर वो 150 से 200 करना चाहते हैं। इससे और अधिक आत्मनिर्भर बन सकें। अभी उसके पास गिर, कांकरेज, साहिवाल राठी और थारपारकर नस्ल की गाय हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की बात से अत्यधिक प्रेरित है। पशुपालक सूरत राम जाट ने गाय पालन में भी काफी नवाचार किए हैं। अपनी गाय के चारे के लिए वह किसी प्रकार के रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते हैं। चारे की फसल में केवल देसी गाय के गोबर से बनी खाद का ही प्रयोग करते हैं। यहां तक कि पशुओं को खिलाने के लिए देसी मक्का, बाजरा और गुड़ के मिश्रण को तैयार करते हैं।
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6 से 10 लीटर दूध देती है एक गाय
सूरत राम का कहना है कि वो ब्रीड संवर्धन से इस देसी गाय को बचाने में लगा हुआ हूं। देशी गाय पालन से अन्य गाय पालन की तुलना में मुनाफा अधिक होता है। मेरे पास 70 गाय हैं। उन्होंने कहा कि मैंने पिछले वर्ष एक गाय 2 से 3 लाख रुपए में बेची। एक गाय 6 से 10 लीटर दूध देती है। फिर भी मैंने आज तक दूध नहीं बेचा है। पहले मैं इन गायों का घी 2000 रुपये प्रति लीटर बेचता था। अब 4 हजार से 4500 रुपये प्रति लीटर से बेच लेता हूं।