Holi 2024: हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होली इस वर्ष 25 मार्च को सेलिब्रेट किया जाएगा। बसंत का महीना लगते ही होली के पर्व का इंतजार शुरू हो जाता हैं। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन होता हैं। इसी के अगले दिन रंगारंग होली खेली जाती हैं। भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली खेलने का अलग अंदाज होता है। होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है। यहां हम आपको एक अनोखे होली सेलिब्रेशन के बारे में बता रहे हैं-
महाराष्ट्र के बीड जिले के केज तहसील के विदा गांव में होली पर अनोखी परंपरा निभाई जाती हैं। जिस परंपरा की हम बात कर रहे हैं, वह बीते 86 सालों से होली पर चली आ रही हैं। गांव में होली के दिन घर के नए नवेले दामाद को गधे पर बैठाकर पूरे गांव में घुमाया जाता हैं, और फिर होली खेली जाती हैं। बीते कई दशकों से ग्रामीण इस परंपरा को अनवरत निभाते आ रहे हैं। इस दिन गांव के नए दामाद को होली खेलने के लिए ख़ास निमंत्रण दिया जाता हैं।
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86 साल की हुई अनोखी होली!
स्थानीय लोग बताते है कि, करीब 86 साल पहले बीड जिले के विडा येवता गांव में एक देशमुख परिवार रहा करता था। उनके घर एक बेटी थी, जिसकी शादी कर दी गई। जब पहली होली पर बेटी और दामाद घर आए तो दामाद ने रंग लगवाने और होली खेलने से मना कर दिया। ससुर ने भी दामाद को मनाने के काफी जतन किये, इसके बाद वह बड़ी मुश्किल से माना। फिर ससुर ने फूलों से सजा एक गधा मंगवाया और उसपर दामाद को बैठाकर गांव में घुमाया।
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कहां से शुरू हुई ये प्रथा?
स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस परंपरा की शुरुआत आनंदराव देशमुख नाम के गांव के ही एक के व्यक्ति ने की थी। वह गांव के लोगों द्वारा सम्मानित व्यक्ति थे। नए दूल्हे को गधे की सवारी देने की परंपरा आनंदराव के दामाद से शुरू हुई और अभी तक जारी है। इसमें सवारी गांव के बीच से शुरू होकर 11 बजे हनुमान मंदिर पर जाकर खत्म होती हैं। इस प्रथा में दामाद को उनकी पसंद के कपड़े भी उपहार स्वरुप दिए जाते हैं।