रोजमर्रा के जीवन को आसान बनाने के लिए हमें मुद्रा की आवश्यकता पड़ती है। मुद्रा के विभिन्न रूपों में जो मुद्रा हम करेंसी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। असल में वह m1 मुद्रा है। जिसका जितना सरकुलेशन होना उतना ही अर्थव्यवस्था विकास करेगी। इस सरकुलेशन के रुकने से अर्थव्यवस्था पर बहुत से नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
आप सभी जानते हैं, 2016 में सरकार ने विमुद्रीकरण का फैसला लिया। जिसके तहत नोटबंदी हुई। आज फिर यह चर्चा का विषय बना हुआ है। जब आरबीआई ने 2000 के नोट पर अपना एक अहम फैसला दिया है।
क्या होगा इसका अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर प्रभाव?
मुद्रा का अर्थशास्त्र पढ़ने तो पता लगता है कि मुद्रा जितनी बार एक हाथ से दूसरे हाथ गुजरती है। बाजार में जितना उसका सरकुलेशन होता है, उतना ही अर्थव्यवस्था ग्रो करती है। जीडीपी, रोजगार बढ़ते हैं। ऐसे में छोटे नोट अर्थव्यवस्था के लिए फायदे का सौदा होते हैं। बड़े नोट होने पर लोग उनका संचय और संग्रहण करने लगते हैं। ब्लैक मनी के रूप में भी यह मुद्रा आसानी से जमा रखी जा सकती है। इसके अलावा कभी-कभी आपने एक कहावत भी सुनी होगी? सिर फूट जाए पर 100 का नोट नहीं टूटना चाहिए।
माना अब 100 के नोट की वेल्यू बहुत कम हो गई । इस वैल्यू को अब 2000 के नोट में ले ली है। लोग अब इसका संग्रहण करने लगे। अन्य कारण पर नजर डाले तो बढ़ती महंगाई और मुद्रास्फीति को देखकर लोग बचत के तहत भी यही सोचते हैं, की 2000 का नोट अगर एक बार फूट गया तो पूरे पैसे खर्च हो जाएंगे। लेकिन उन्हें नहीं पता इसका अर्थव्यवस्था पर कितना नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
क्या हो सकते हैं कारण?
सरकार का मानना है कि इससे आतंकवाद money-laundering पर ब्रेक लगेगा। साथ ही नकली मुद्रा प्रचलन से बाहर होगी, नकली नोटों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया है।
आपको क्या लगता है, यह निर्णय आनन-फानन में लिया होगा?
जी नहीं, तू डाल डाल मैं पात पात। कहावत तो आपने सुनी ही होगी? आरबीआई भी इसी फिराक में था। वह बहुत पहले से पिछले दो-तीन साल से उसने 2000 नोटों की छपाई बंद कर दी थी। यही नहीं, अगर आपने बैंकों से पैसे निकलवाए होंगे, तो देखा होगा। उसमें भी आपको 2000 के नोट नहीं मिलते होंगे। इसके पीछे यही कारण था कि आरबीआई ने 2000 नोट का डिजिटल नोटबंदी पहले से ही कर ली थी। अब तो मात्र करेंसी का नोटिफिकेशन जारी हुआ है।
आगे की राह
क्या आरबीआई के इस निर्णय से काले धन पर रोक लग जाएगी? मनी लॉन्ड्रिंग, ब्लैक मनी आतंकवाद और जमाखोरी रोकने के लिए आरबीआई को कुछ सख्त निर्णय भी देने होंगे। इसके लिए 2000 नोट जमा कराते समय आधार कार्ड, पैन कार्ड अनिवार्य किया जाए। जीएसटी लेनदेन के हिसाब भी इससे जुड़ेंगे तभी असली काला धन बाहर आ पाएगा।