जयपुर। Sarkari Naukari : अब 12 महीने या 1 साल तक ड्यूटी करने वाले प्राइवेट कर्मचारियों को सरकारी नौकरी मिलेगी। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि यदि कोई प्राइवेट व्यक्ति सालों से स्थायी प्रकृति के पदाधिकारी की तरह कार्य कर रहा है तो उसके साथ कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी की तरह बर्ताव नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं बल्कि उसको स्थायी सरकारी नौकरी भी दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया नौकरी पक्की करने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाल ही में दिए फैसले में कहा हे कि यदि कोई व्यक्ति किसी पद पर सालों से स्थायी प्रकृति के पदधारी जैसा कार्य कर रहा होता है कि तो उसके साथ ठेका कर्मचारी की तरह ट्रीट नहीं कर सकते। इसके साथ ही उसकी नौकरी भी स्थायी करनी चाहिए। जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह आदेश दिया कि स्थायी या बारहमासी प्रकृति का काम एक अनुबंध कर्मचारी द्वारा नहीं किया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति कोई ऐसा काम करता है तो उसको स्थायी किया जाना चाहिए।
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इस कानून के तहत मिलती है स्थायी नौकरी
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बारहमासी/स्थायी प्रकृति के कार्य करने के लिए नियोजित श्रमिकों को अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के तहत उनको सिर्फ स्थायी नौकरी के लाभ नहीं दिए जाने के लिए अनुबंध श्रमिक नहीं मान सकते। यह मामला महानदी कोलफील्ड में काम करने वाले सफाई मजदूरों से जुड़ा है।
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संविदा कर्मियों को स्थायी किया जाए
अपने आदेश में जस्टिस नरसिम्हा ने उच्च न्यायालय और इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें रेल लाइन किनारे सफाई करने वाले मजदूरों को संविदा कर्मी से हटाकर स्थायी कर्मी का दर्जा और वेतन-भत्ते का लाभ देने का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य के आधार पर यह आदेश दिया कि रेलवे लाइन के किनारे गंदगी हटाने का काम नियमित होने के साथ ही बारहमासी और स्थायी प्रकृति का है। इस वजह से अनुबंध पर बहाल कर्मचारियों को स्थायी किया जाए।