जयपुर। Congress Party Manifesto 2024 जारी हो गया है जिसमें कई सारे वादे किए गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने महिला सशक्तिकरण को लेकर 5 बड़े वादे किए हैं। इसको 2019 के चुनावी घोषणापत्र का नया वर्जन माना जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने न्यूनतम आय योजना (NYAY) का वादा किया था जिसके तहत भारत में करीब 20 प्रतिशत गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये कैश मदद के रूप में दिए जाने थे। इस स्कीम के दायरे में लगभग 5 करोड़ परिवार आ सकते थे। उस समय कांग्रेस पार्टी ने तब यह भी कहा था कि यह पैसा परिवार की महिला सदस्य के खातों में भेजा जाएगा। इस बार कांग्रेस ने जो 5 घोषणाएं की हैं उनमें सबसे प्रमुख ‘महालक्ष्मी योजना’ योजना है। इस योजना के तहत प्रत्येक गरीब परिवार की महिला सदस्य के खाते में 1 लाख रूपये प्रतिवर्ष आएंगे।
भारत में गरीबी अनुपात 11.3%
हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस पार्टी ने यह नहीं बताया कि 1 लाख रूपये प्रतिवर्ष वाली स्कीम में कितने गरीब परिवारों को शामिल किया जाएगा। हालांकि, अब सवाल ये है कि भारत की गरीबी के अनुमान अलग-अलग पद्धतियों के आधार पर काफी अलग—अलग हैं। जैसे नीति आयोग के अनुसार बहुआयामी गरीबी सूचकांक गरीबी अनुपात लगभग 11% है। वहीं, इसके सीईओ का कहना है कि पिछले महीने जारी उपभोग खर्च सर्वे के नए आंकड़ों के अनुसार गरीबी 5% तक कम हो सकती है। वहीं, विश्व बैंक ने 2022-23 में भारत में गरीबी अनुपात 11.3% बताया है जो 48 रुपये रोज पर गुजर बसर करने लोगों की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा के अनुसार है।
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कांग्रेस की महालक्ष्मी योजना का वादा
कांग्रेस की महालक्ष्मी योजना (Maha Lakshmi Yojana) के अनुसार यदि माना जाए कि इसें चालू वित्त वर्ष में इसे लागू किया जाए तो इससें सरकार पर कितना बोझ बढ़ेगा? इकॉनोमिस्ट्स के अनुसार यदि कोई 10% गरीबी अनुपात माने तो इसका मतलब है कि टारगेट लाभार्थी 14 करोड़ परिवार होंगे। इसमें जनसंख्या 140 करोड़ है तो यदि प्रत्येक गरीब परिवार से एक महिला को इसका लाभ दिया जाए तो 2.8 करोड़ महिलाएं इसमें शामिल होंगी। इस लिहाज से कुल खर्च 2.8 लाख करोड़ रुपये आएगा। यह 2024-25 में (फरवरी में पेश केंद्रीय बजट के अनुसार) भारत की जीडीपी (328 लाख करोड़ रुपये) का 0.8% है। जैसा नीति आयोग के अनुसार यदि गरीबी अनुपात 5% है तो खर्च जीडीपी का 0.4% रह होगा। वहीं, वित्तीय बोझ का अनुमान लगाने का दूसरा तरीका सबसे गरीब परिवारों को शामिल करना है। ऐसे लोगों के पास अंत्योदय राशन कार्ड है। इससे महालक्ष्मीम योजना के लाभार्थियों की कुल संख्या थोड़ी कम होगी। वर्तमान समय में अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत 2.33 करोड़ परिवार हैं। यदि प्रत्येक महिला को 1 लाख रुपये दिए जाएं तो कुल सालाना खर्च 2.33 लाख करोड़ रुपये होगा जो कि भारत की जीडीपी का 0.7% है।
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सरकारी नौकरियां में आधी महिलाएं
कांग्रेस पार्टी ने दूसरा बड़ा वादा ये किया है कि केंद्र सरकार की नई नियुक्तियों में आधा हक महिलाओं को मिलेगा। सभी सरकारी नौकरियों में से आधे को महिलाओं के लिए आरक्षित करने से कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं होगा क्योंकि ये पहले से ही मौजूदा रिक्तियां हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का वेतन दोगुना
कांग्रेस पार्टी का तीसरा वादा ये है कि आशा, आंगनवाड़ी और मिड-डे मील बनाने वाली महिलाओं के मासिक वेतन को केंद्र सरकार के योगदान को दोगुना किया जाएगा। हालांकि, इसका वित्तीय प्रभाव कम पड़ेगा क्योंकि वेतन का स्तर काफी कम है। गत वर्ष की बात करें तो मार्च तक 10.5 लाख आशा कार्यकर्ता, 12.7 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 25 लाख से अधिक रसोइये थे। इन तीनों ही समूहों को लगभग 2,000 रुपये, 4500 रुपये और 1,000 रुपये का मासिक वेतन मिलता है। जैसे कि 2021-22 में, केंद्र सरकार ने सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन पर 8,908 करोड़ रुपये खर्च किए और वे तीनों में से सबसे अधिक वेतन कमाते हैं। इन राशियों को दोगुना करना यानी कुल 54,000 करोड़ रुपये होकर भी यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (328 लाख करोड़) का काफी कम प्रतिशत है।
कानूनी सहायक की नियुक्ति
कांग्रेस पार्टी अपने एक और वादे में कहा है कि प्रत्येक पंचायत में महिलाओं को उनके हकों के लिए जागरूक करने और जरूरी मदद के लिए अधिकार मैत्री के रूप में एक Para-Legal यानी कानूनी सहायक को नियुक्त किया जाएगा।