Ramzan me Brush: रमजान का मुबारक महीना है और कुछ दिनों में होली आने वाली है। भारत में त्योहारों की धूम हैं। रमजान के महीने में मुस्लिम बंधु दिन रात अल्लाह की इबादत में जुटे हुए रहते हैं। दिन भर भूख प्यास के कारण रोजेदारों के दांतों की सफाई भी समय समय पर जरूरी है। कई लोग इस बात से भ्रमित रहते हैं कि रोजे की हालत में टूथब्रश करने से रोजा टूट जाता है। हम आपको इसी सवाल का सटीक और हदीस से साबित जवाब बताने जा रहे हैं। Ramzan me Brush करने को लेकर आपके मन में कोई वहम नहीं होना चाहिए। बस थोड़ा ध्यान रखना होता है कि पेस्ट करते समय गले में कोई पानी का कतरा या टूथपेस्ट का टेस्ट न चला जाए। कई रोजेदार सेहरी के वक्त ही ब्रश कर लेते हैं जो कि सबसे बढ़िया काम है।
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रोजे में टूथब्रश कैसे करें?
अधिकांश मुस्लिम विद्वान इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि टूथब्रश करने से रोज़ा टूट जाता है। इसकी एक शर्त है कि जब आप टूथपेस्ट करें तो उसका कोई टुकड़ा न निगलें, न ही पानी का घूंट हलक में उतरें। हालाँकि ज्यादातर मुस्लिम मानते हैं कि टूथपेस्ट से रोजा टूटने का खतरा रहता है, इसलिए वे सेहरी के वक्त ही दांत साफ कर लेते हैं। चूंकि ब्रश करने से कुल्ला करने के बावजूद मुँह में एक निश्चित मात्रा में स्वाद रहता है इसीलिए हमारा कहना यही है कि रोजे में ब्रश करने से बचें। हदीस में तो मिस्वाक करने का हुक्म दिया गया है। क्योंकि मिस्वाक का टेस्ट गले में नहीं उतरता है।
सेहरी के वक्त दांत साफ कर लें
सेहरी के बाद जब वक्त बाकी रहता है तभी आप लोग अपने दांत साफ कर लिया करें। क्योंकि रोजा रखने के बाद टूथपेस्ट करने का मसअला थोड़ा रिस्की हो जाता है। इतनी मेहनत से आप रोजा रखते हैं वो आपकी जरा सी लापरवाही से टूटना नहीं चाहिए। क्योंकि रोजा टूटने का बहुत बड़ा गुनाह है। तो सबसे बेस्ट यही है कि रोजे की नियत से पहले ही दांत साफ कर लें। बाकी आपकी मर्जी।
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मिस्वाक का करें इस्तेमाल
हदीस में मुस्लिमों के लिए मिस्वाक का इस्तेमाल करने का हुक्म आखिरी रसूल ने दिया है। पैगंबरे इस्लाम के अनुसार मिस्वाक की दांतुन के बाद पढ़ी गई नमाज का सवाब आम नमाज से ज्यादा होता है। दुनिया भर के लोग अपने दांतों को प्राकृतिक रूप से साफ़ करने के लिए मिस्वाक यानी साल्वाडोरा पर्सिका की जड़ों, टहनियों और तने से बनी एक पारंपरिक चबाने वाली छड़ी का उपयोग करते रहे हैं। वैज्ञानिक रिसर्च से पता चला है कि मिस्वाक में जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीकारोजेनिक और एंटीप्लाक गुण होते हैं। इस्लाम में मिस्वाक का जमकर बखान किया गया है। मिस्वाक की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगा ले कि इसके नाम पर बाजार में पेस्ट भी आने लग गया है।