Shab e Qadr 2024 : रमजानुल मुबारक के महीने में दूसरा अशरा चल रहा है। तीसरा अशरा जहन्नम की आग से खुलासी का होता है जो 21 रमजान से तीस रमजान तक होता है। इसमें एक खास रात होती है जिसे शबे कद्र या लैलतुल कदर की रात कहा जाता है। शब ए कद्र में ही अल्लाह तआला ने नबी ए पाक पर कुरआन मजीद नाजिल (उतारा ) किया था। इसलिए यह रात खासतौर पर इबादत की रात मानी जाती है। मान्यता है कि इस रात में की गई इबादत हज़ारों महीनों की इबादत से बेहतर है। तो चलिए भारत में Shab e Qadr 2024 कब है जान लेते हैं। ताकि हमारे मुस्लिम बंधु पहले से ही इस लैलतुल कद्र नाइट ऑफ पावर (Laylatul Qadr The Night of Power) के लिए तैयार रहें।
यह भी पढ़ें:Shab e Barat Mubarak Ho: शब-ए-बारात में ये काम किया तो बर्बाद हो जाओगे, मुसलमान भी नहीं जानते!
क्या है शब-ए-कद्र (The Night of Power)
रमजान के महीने में शब-ए-कद्र की रात आखिरी अशरे में रखी गई है। इसी मुकद्दस रात को अल्लाह तआला ने आखिरी रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के ऊपर कुरआने-पाक नाजिल फरमाया था। इस रात को मुस्लिम बंधु सारी रात जागते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इस रात को हजारों महीनों से अफजल रात माना जाता है। गणना करें तो इस रात में इबादत का सवाब 83 साल और 4 महीने की इबादत के बराबर होता है।
भारत में कब होगी शब ए कद्र की रात?
रमजान के महीने में आखिरी दस रातों की विषम संख्या वाली रातों में से कोई एक रात ही लैलतुल कदर यानी शब ए कद्र की रात होती है। मतलब इस साल भारत में रमजान 12 से शुरु हुए हैं तो 21वीं रात 31 मार्च 2024 को होगी। ऐसे में भारत में शबे कद्र की रात 31 मार्च, 2 अप्रैल, 4,6, व 8 अप्रैल को होगी। यानी रमजान माह की 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं रातों को शब ए कद्र की रात माना जाता है। शब-ए-कद्र में (Shab e Qadr 2024) शब के मानी रात, कद्र यानी इज्जत से है। भारत में 27वीं रात पर ज्यादा जोर दिया जाता है। ऐसे में इस साल 6 अप्रैल 2024 को भारत में शबे कदर की रात होगी।
यह भी पढ़ें:Ramzan me Musht Zani: रोजे की हालत में ये गंदा काम किया तो हो जाओगे बर्बाद, युवा मुस्लिम जान लें!
शबे कद्र में क्या करते हैं?
आपको बता दें कि अल्लाह ने कोई एक रात न बताकर इन इन 5 रातों में मुसलमानों को इबादत का हुक्म दिया है। ताकि मुसलमान आखिरी अशरे की ताक रातों में शबे कद्र को तलाश करें। इस रात में सलातुल हाजत की खास नमाज पढ़ी जाती है। कब्रिस्तान में जाकर मरहूम के लिए दुआ ए मगफिरत की जाती है। साथ ही इस रात में कुरान शरीफ की तिलावत का भी खास एहतिमाम किया जाता है। कुल मिलाकर लैलतुल कद्र की रात में जागकर मुसलमान हजारों महीनों की इबादत का सवाब हासिल कर सकता है।