Ramadan Day 21 Dua: मुसलमानों का मुबारक महीना रमजान का तीसरा अशरा कल से शुरु हो चुका है। आज 1 अप्रैल 2024 को 21वां रोजा रखा जा चुका है। हर रमजान के लिए एक खास दुआ नबी ए करीम ने बताई है जिसे उस दिन खुसूसी तौर पर पढ़नी चाहिए। 21वें रमजान को एक खास दुआ (Ramadan Day 21 Dua) पढ़नी चाहिए जिससे अल्लाह आपको शैतान के शर से महफूज रखेंगे। रमजान का तीसरा अशरा कल शाम से शुरु हो चुका है। जहन्नम की आग से खुलासी का ये तीसरा अशरा ईद के चांद दिखने पर तीस रमजान को खत्म होगा। तीसरे अशरे में शबे कद्र का दौर शुरु होगा। अलविदा जुम्मा 5 अप्रैल को होगा। ईद का चांद 10 अप्रैल को नजर आ सकता है। आज 1 अप्रैल 2024 के दिन 22वीं तरावीह होगी।
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21वें रमजान की खास दुआ (Ramadan Day 21 Dua)
Allahumma aj`al li fihi ila mardatika dalilan wa la taj`al lilshshitani fihi `alayya sabilan
waj`ali aljannata li manzilan wa maqilan ya qadiya hawa’iji alttalibina
ऐ अल्लाह आज के दिन मुझे अपनी मर्ज़ी और खुशनूदी की तरफ मेरी रहनुमाई कर, शैतान को मुझ पर मुसल्लत न कर, और जन्नत में मेरे लिए मंज़िल ओ मुक़ाम क़रार दे, ऐ हाजत मंदों की हाजत को पूरा करने वाले
اَللّـهُمَّ اجْعَلْ لى فيهِ اِلى مَرْضاتِكَ دَليلاً، وَلا تَجْعَلْ لِلشَّيْطانِ فيهِ عَلَيَّ سَبيلاً، وَاجْعَلِ الْجَنَّةَ لى مَنْزِلاً وَمَقيلاً، يا قاضِيَ حَوائِجِ الطّالِبينَ
Aye Allah Aaj Ke Din Apni Marzi Aur Khushnudi Ki Taraf Meri Rahnumayi Kar, Shaitan Ko Mujh Par Musallat Na Kar, Aur Jannat Me Mere Liye Manzil O Muqaam Qaraar Dey, Aye Hajat Mandon Ki Hajat Ko Poora Karne Wale.
O Allah on this day (please) make for me a course that takes me to Your pleasure; And do not make for Satan a course to me; And make Paradise my home and dwelling;
O He Who settles the needs of the beseechers.
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21वें रमजान को क्या है खास?
21वें रमजान का तीसरा अशरा शुरु हो चुका है। आज तीसरे अशरे का पहला दिन है। मतलब कल शाम 31 मार्च से तीसरा अशरा शुरु हो चुका है। लोग एतिकाफ में बैठ चुके हैं। इस अशरे में जहन्नम की आग से आजादी मिलती है। तीसरे अशरे में दोजख की भड़कती आग से पनाह की ये दुआ जरूर मांगे। अल्लाहुम्मा अजिरनी मिन्ननार ये दुआ हमेशा पढ़ते रहे। इंशाअल्लाह आपको जहन्नम की आग से पनाह मिल जाएगी। 21वें रमजान की शाम से ईद का चांद दिखने तक बंदा मस्जिद में तन्हाई में मौला की इबादत करता है। ऐतिकाफ का सवाब दो हज और दो उमरे के बराबर होता है। 21वें रमजान को ये खास दुआ पढ़ने से मौला आपकी रहनुमाई फरमा देगा।
क्या होता है एतिकाफ ?
इस्लाम में एतिकाफ का मतलब होता है कि ठहर जाना। बीस रमजान की शाम से ही मुस्लिम बंधु मस्जिद के एक कोने में पर्दा करके एतिकाफ में बैठते हैं। इसमें दस दिनों तक किसी से बात नहीं की जाती है। केवल अल्लाह अल्लाह करना है। सुबह जल्दी नहा धो ले, यानी किसी को आपका चेहरा न दिखे। महिलाएं घर पर ही एतिकाफ कर सकती है। एतिकाफ की वजह से बस्ती का अजाब टाल दिया जाता है।