Pradosh ke Upay: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रदोष इस बार शनिवार (6 अप्रैल 2024) को आ रही है जिससे शनि प्रदोष का शुभ योग बन रहा है। इस शनि प्रदोष पर पंचक भी लगे हुए हैं जिनके कारण इस बार का प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण बन गया है। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव की विशेष पूजा करने से भक्तों के समस्त कष्ट दूर होते हैं और उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। जानिए इस व्रत के बारे में
कब है चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रदोष
हिंदू पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि (अथवा प्रदोष) 6 अप्रैल 2024 को सुबह 10.19 बजे आरंभ होगी। प्रदोष तिथि का समापन 7 अप्रैल 2024 को सुबह 6.53 बजे होगा। ऐसे में प्रदोष भी छह अप्रैल को ही मनाई जाती है। इस दिन शतभिषा नक्षत्र भी रहेगा। शनिवार को प्रदोष होने के कारण इसे शनि प्रदोष भी कहा जाएगा।
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इस प्रदोष पर तीन अत्यन्त शुभ मुहूर्त शुभ योग, शुक्ल योग तथा ब्रह्म योग बन रहे हैं। चंद्रमा कुंभ राशि में रहेगा जो शनि के स्वामित्व की ही राशि है। चौघड़िया की बात करें तो सुबह 7.46 बजे से 9.21 बजे तक शुभ का चौघड़िया रहेगा और इस मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करना सर्वोत्तम शुभ रहेगा।
प्रदोष पर कैसे करें भगवान शिव की पूजा
इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर मां गौरी सहित भगवान शिव की पूजा करें। उनका अभिषेक कर उन्हें दीप, धूप, सुंगध, फल, पुष्प, बिल्वपत्र, भोग आदि अर्पित करें। सफेद चंदन से उनका तिलक करें। उनकी स्तुति करें तथा पंचाक्षरी मंत्र का अधिकाधिक जप कर जाने-अनजाने हुए त्रुटियों के लिए क्षमा याचना करें।
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प्रदोष व्रत के उपाय (Pradosh ke Upay)
प्रदोष तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महादेव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राभिषेक तथा अन्य अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं अथवा उनके पंचाक्षरी मंत्र का जप भी किया जा सकता है। यदि अन्य कोई उपाय न कर पाए तो केवल मात्र शिवमहापुराण का पाठ करना भी उत्तम फल प्रदान करता है।
अगर आपकी कोई विशेष इच्छा है तो उसे पूर्ण करने के लिए आप भगवान शिव का अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक कर सकते हैं। गाय के घी से अभिषेक करने पर राज्य की प्राप्ति होती है, नौकरी में तरक्की और व्यापार में लाभ के लिए फलों के रस से अभिषेक किया जाता है। इसी प्रकार पंचगव्य से शिव का अभिषेक करने पर धन-धान्य और संपत्ति प्राप्त होती है।