जयपुर। सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाघ प्रेमियों के लिए खुशखबरी है। सरिस्का में मंगलवार सुबह कैमरा ट्रैप में बाघिन एसटी-14 के दो नए शावक दिखाई दिए हैं। करीब एक साल से नए शावकों का इंतजार था। अब सरिस्का में बाघों का कुनबा बढ़कर 27 पहुंच गया है। इससे कुछ समय पहले एसट-19 ने दो शावको को जन्म दिया था जो इन दिनों जंगल में अठखेलिया कर वन्यजीव प्रेमियों को आंनदित कर रहे है।
सरिस्का के डीएफओ डीपी जागावत के मुताबिक, अकबरपुर रेंज के अधीन डाबली, सुकोला वन क्षेत्र में बाघिन एसटी-14 के मूवमेंट क्षेत्र में 27 फरवरी के कैमरा ट्रैप का अवलोकन करने पर दो शावक दिखाई दिए। इन शावकों की उम्र करीब दो माह है। बाघिन एवं दोनों शावकों का मूवमेंट सामान्य पाया गया है। बाघिन एसटी-14 एवं दोनों शावकों की मॉनिटरिंग बढाई गई है। सरिस्का में बाघिन एसटी-14 के दो नए शावक दिखाई देने से अब बाघों का कुनबा बढ़कर 27 हो गया है। पहले सरिस्का में बाघों का कुनबा 25 था। सरिस्का में करीब एक साल बाद दो नए शावक मिले हैं। हालांकि, अभी दो बाघिन का रणथंभौर से सरिस्का में पुनर्वास होना है। सरिस्का प्रशासन की योजना वर्ष 2023-24 में बाघों की संख्या बढाकर 30 से 35 तक करने की है। सरिस्का में गत दो सालों में गांव डाबली का पूरी तरह विस्थापन होने तथा सुकोला में आधे गांव का विस्थापन होने से बाघिन को मानवीय दखल रहित क्षेत्र मिला और बाघिन एसटी-14 ने इसी क्षेत्र में पुन: दो शावकों को जन्म देकर अपनी स्थाई एवं सुरक्षित टेरिटरी स्थापित की है। इस बाघिन ने करीब सवा दो साल पहले भी यहां तीन शावकों को जन्म दिया था। अब ये तीनों शावक पूर्ण वयस्क होकर सरिस्का टाइगर रिजर्व को आबाद कर रहे हैं।
बॉक्स-एसटी-19 के शावक बाला किला तक पहुंचे
सरिस्का सबसे तेज बाघिन एसटी-19 के शावक भी मां की तरह तेज तर्रार है। मां से बिछडऩे के बाद एक शावक इन दिनों शहर की सीमा के पास देखा जा रहा है। ये शावक दो दिनों से लगातार अलवर के पास आसानी से दिख रहे हैं इनमें एक शावक शहर से मात्र एक किलोमीटर दूर प्रताप बंध के पास बाला किला रोड पर पहुंच गया। यहां शावक ने वाटर होल्स में पहले आराम से पानी पिया और बाद में चहलकदमी करते हुए बाला किला जाने वाली रोड पर दिखा। फिर शावक ने सड़क किनारे बनी दीवार लांघी और जंगल की ओर चला गया।बाघ के शावक की चहलकदमी और दीवार कूदने का नजारा पर्यटकों ने कैमरे में कैद कर लिया। इसका वीडियो अब वायरल हो रहा है। सरिस्का के अलवर बफर रेंज में बाला किला क्षेत्र में बाघ का शावक आने से पर्यटक खुश हैं। लोगों का मानना है कि बाला किला क्षेत्र अच्छा जंगल है और बाघों के लिए सहज है। इस कारण ही बाघ बार-बार घूमकर बाला किला के जंगल मे आते हैं। यहां बाघ की साइटिंग आसानी होने से जल्द ही बाला किला क्षेत्र में पर्यटन बढ़ेंगे। इससे शहरवासियों के लिए रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे। सरिस्का के अलवर बफर रेंज में वर्तमान में एक बाघ, एक बाघिन और उनके दो मेल-फिमेल शावक हैं। इसमें बाघ- बाघिन युवा हैं। शावकों की उम्र करीब डेढ साल बताई जा रही है। दोनों शावक दो दिन से बाला किला जंगल क्षेत्र में ही घूम रहे हैं। प्रतापबंध वन चौकी के पास रावण देवरा गांव के जंगल में मेल शावक दिखाई दिया था। वहीं मंगलवार की शाम प्रतापबंध वन चौकी से बाला किला को जाने वाली रोड पर कुछ ही दूरी पर फीमेल शावक दिखी। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि शावकों की उम्र अभी डेढ़ साल है और इस उम्र में शावक बाघ- बाघिन के साथ ही घूमते हैं। करीब दो साल की उम्र में शावक बाघ-बाघिन से अलग होकर अपनी नई टेरिटरी बनाते हैं।