जयपुर। Litchi Eating Side Effects : गर्मी का रसीला फल लीची अब जल्द ही मार्केट में आने वाली है जिसको लोग खूब खाने वाले हैं। लीची एक ट्रॉपिकल फ्रूट है जो अपने रसीलेपन और अनोखी मिठास के लिए जाना जाता है। लेकिन, आपने सुना होगा कि हर साल लीची खाने (Litchi Eating) से यूपी व बिहार जैसे राज्यों में कई लोगों की मौतें हो जाती हैं। ऐसे कई मौके आ चुके हैं जब लीची खाने से यूपी व बिहार जैसे राज्यों में कोहराम मच चुका है। ऐसे में लीची खाने को लेकर जरा सावधान रहना चाहिए। क्योंकि मानव स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जानी वाली लीची को जरा ध्यान से खाने की जरूरत होती है। आमतौर पर लीची को ताजा ही खाया जाता है लेकिन कभी-कभी आइसक्रीम सहित अन्य फूड आइटम्स में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस तरीके से लीची खाने पर वो स्वाथ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
लीची खाली पेट खाने से मौत हो सकती है
डॉक्टर्स के मुताबिक लीची फल (Litchi Fruit) में हाइपोग्लाइसीन A और मेथिलीनसाइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (MCPG) टॉक्सिन्स होते हैं जो अधिक मात्रा में होने पर आपको बीमार कर सकते हैं। हाइपोग्लाइसीन A शरीर को ग्लूकोज बनाने से रोकता है। यह उन बच्चों को अधिक प्रभावित करता है जिनका ब्लड शुगर का लेवल कम होता है। खाली पेट भरपूर मात्रा में लीची खाने से ब्लड शुगर का लेवल तेजी से कम होता है। इस तरह से लीची खाने पर अत्यधिक थकान, चक्कर आना, स्मृति हानि, उनींदापन के साथ ही मौत भी हो सकती है।
2014 में लीची ने मुजफ्फरपुर में मचाया कोहराम
आपको बता दें कि साल 2014 में बिहार के मुजफ्फरपुर में बुखार और कन्वल्शन की वजह से कई लोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान 3 सप्ताह के अंदर (26 मई से 17 जुलाई के बीच) 390 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इन सभी बीमार बच्चों में एक ही बात खास थी कि इन्होंने खाली पेट लीची खा ली थी। लीची खाने के बाद इन बच्चों को तेज बुखार और अन्य समस्याएं हुई जिसके बाद इन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। अस्पताल में भर्ती कराए करीब 62% बच्चों का ब्लड ग्लूकोज लेवल लो था। इनमें हाइपोग्लाइसीन A और मेथिलीनसाइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन के ट्रेसेज भी मिले थे।
खाली पेट लीची नहीं खाने की सलाह
प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पब्लिश हुई एक स्टडी में खाली पेट लीची के खाने को लेकर शोध किया गया था। इसमें कई वैज्ञानिकों ने खाली पेट लीची नहीं खाने की सलाह दी थी। उन्होंने यह भी सलाह दी थी कि जिन बच्चों में एन्सेफलाइटिस के प्रकोप से जुड़े लक्षण दिखते हैं उनका हाइपोग्लाइकेमिया या लो ब्लड शुगर का तुरंत इलाज करना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यह लेख सलाह सहित केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए लिखा गया है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। मॉर्निंग न्यूज इंडिया इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता।
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