पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कहा था लेकिन राज्य सरकार इसका विरोध कर रही थी। इसके लिए राज्य सरकार ने कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को इस मामले में झटका लगा है। मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा साफ कहा कि चुनाव के दौरान सुरक्षा को देखते हुए केंद्रीय बलों की तैनाती की जाएगी।
HC ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि 8 जुलाई को प्रस्तावित चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की जाए। लेकिन राज्य सरकार ने इस फैसले को मानने से इनकार किया था और SC में चुनौती दी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले की चुनौती पर सुनवाई की गई। इस दौरान जस्टिस नागरत्ना ने मामले की सुनवाई करते हुए HC के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए अपील खारिज कर दी।
पुलिस फोर्स की बताई थी कमी
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने ममता सरकार से सवाल किया कि आपने कहा था कि पुलिस पर्याप्त नहीं है। चूंकि आपने आधा दर्जन राज्यों से फोर्स मांगी है। वहीं बंगाल सरकार ने इसके जवाब में कहा कि हमने पुलिस फोर्स हैंडल करने के लिए कभी मना नहीं किया। वहीं सुप्रीम कोर्ट में बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल पेश हुए। उन्होनें कहा कि हमने हाईकोर्ट में फोर्स की पर्याप्तता पर टिप्पणी नहीं की बल्कि फोर्सेज के सोर्सेज पर बात है।
चुनाव आयोग को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को भी फटकार लगाई है। SC ने पूछा कि इन सबसे SEC को क्या परेशानी है? फोर्सेज कहां से आ रही हैं, इसकी चिंता करना आपका काम नहीं है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि 'चुनाव कराना हिंसा के लिए लाइसेंस नहीं हो सकता और HC ने पहले हुईं हिंसा की घटनाओं को देखा है… चुनाव के साथ हिंसा नहीं हो सकती। अगर लोग अपने नामांकन ही नहीं दाखिल कर पा रहे हैं और उन्हें नामांकन करने जाते समय मार दिया जा रहा है तो मुक्त और निष्पक्ष चुनाव कहां रह गए?'