Juma me kitni rakat hoti h : इस्लाम में शुक्रवार के दिन की क्या अहमियत है ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है। जैसे हिंदू भाईयों के लिए मंगलवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है, वैसे ही मुसलमानों के लिए जुम्मा यानी शुक्रवार का दिन काफी मुकद्दस माना जाता है। अल्लाह तआला ने पवित्र कुरान की सूरह जुमाअ में जुम्मे के दिन की फजीलत बयान की है। नबी ए पाक ने भी जुम्मे के दिन को सप्ताह का सरदार बताया है। इस दिन दोपहर में जुम्मे की नमाज अदा की जाती है। जुम्मे की नमाज में कितनी रकात होती हैं ये जानना बहुत जरूरी है। जुम्मे की नमाज में कुल कितनी रकात (Juma me kitni rakat hoti h) होती है ये आपको हम हिंदी में बताने वाले हैं। इस अहम जानकारी को सबके साथ जरूर शेयर करें।
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जुमे की नमाज क्या है?
शुक्रवार के दिन दोपहर वाली नमाज जिसे जौहर की नमाज कहते हैं, उसकी जगह जुम्मे की नमाज पढ़ी जाती है। लेकिन ये नमाज सामूहिक तौर पर ही कुबूल होती हैं। यानी इसे आप तन्हाई में घर में या अकेले में नहीं पढ़ सकते हैं। जुम्मे के दिन को छोटी ईद भी कहा जाता है। इस दिन मुस्लिम बंधु नहा धोकर गुस्ल करके नये कपड़े पहनकर, इत्र सुरमा लगाकर नबी पर दुरूद शरीफ का नजराना पेश करते हुए नमाज पढ़ने शहर की मुख्य मस्जिद यानी जामा मस्जिद में जाते हैं।
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जुम्मे की नमाज में कितनी रकात हैं?
(Juma me kitni rakat hoti h)
जौहर की नमाज में 12 रकात होती हैं। लेकिन जुम्मे में कुल 14 रकात होती हैं। जिनमें से 4 सुन्नत (मोअक्कदा), 2 फ़र्ज़ (अनिवार्य), 4 सुन्नत (घेर-मोअक़दा), 2 सुन्नत (मोअक़्दा), 2 नफ़ल हैं। जुम्मे की नमाज़ में 14 रकअत पढ़ने के बाद ही पूरा सवाब मिलता है। कई लोग केवल दो फर्ज पढ़ते ही मस्जिद से बाहर आ जाते हैं। खुदा के लिए ऐसा न किया करें, नमाज को पूरी रकात में अदा करें तभी पूरा सवाब मिलेगा।
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जुम्मे के दिन क्या करें?
जुम्मे के दिन नहाना फर्ज है। कपड़ों पर खुशबू इत्र लगाना सुरमा लगाना सुन्नत हैं। नबी ए करीम हजरत मुहम्मद मुसत्फा सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का इर्शाद है कि जुम्मे के दिन जो शख्स कसरत से मुझ पर दुरूद शरीफ का नजराना पेश करेगा तो उसके अस्सी साल के गुनाह पलक झपकते ही माफ कर दिए जाएंगे।