21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाया जा रहा है। भारत में ही नहीं विदेश में भी योग दिवस का जश्न देखा जा सकता है। योग दिवस को इंटरनेशनल लेवल पर ले जाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। उन्होनें ही सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। पीएम मोदी ने इस साल अमेरिका के न्यूयॉर्क में योग दिवस कार्यक्रम का नेतृत्व किया। उनकी यह योग कूटनीति चीन को भारी पड़ रही है।
मोदी की योग कूटनीति
पहली बार पीएम मोदी देश से बाहर योग दिवस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के 9 साल पूरे होने के मौके पर पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में 180 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के साथ योग किया। पीएम मोदी की यह योग कूटनीति दुनिया के सभी देशों को एक साथ लाने और भारत के साथ जोड़ने में सफल रही। ऋषि मुनियों की ओर से किया जाने वाला प्राचीन अनुशासन आज भारत की सांस्कृतिक पहचान बन गया है। वहीं मोदी की योग कूटनीति चीन की पांडा कूटनीति पर भारी पड़ रही है। इस समय चीन बौखलाया हुआ है। अमेरिका और भारत के बीच रिश्ते मजबूत होने जा रहे हैं। यह बात चीन को पच नहीं रही है।
क्या है चीन की पांडा कूटनीति
चीन ने अपनी पांडा कूटनीति से कई देशों को अपना मुरीद बनाया है। दरअसल चीन ने अन्य देशों के साथ सद्भावना दिखाने और उन्हें चीन के साथ कनेक्ट होने के लिए पांडा कूटनीति को अप्लाई किया। इस कूटनीति के जरिए चीन ने कई देशों को उनके चिड़ियाघरों के लिए पांडा दिया है। लेकिन अब स्थिति इसके विपरीत बन चुकी है। अब भारत की योग कूटनीति चीन की पांडा कूटनीति पर भारी पड़ रही है। दुनिया के तमाम देशों में योग को अपनाया गया है। ऐसे में चीन टेंशन में है। हालांकि जब पीएम मोदी ने योग दिवस की सिफारिश की थी तब योग दिवस का समर्थन करने वाले देशों में चीन था। चीन ने न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र में इस प्रस्ताव पर सहमति जताई बल्कि वह सबसे पहले इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों में शामिल था।