भारत में जहां बच्चों के बिना कोई परिवार पूरा नहीं माना जाता वहीं दक्षिण कोरिया एक ऐसा देश है, जहां लोग बच्चे पैदा करने से ही कतराते हैं। यह दुनिया भर में सबसे कम जन्म दर वाला देश है। लोगों को बच्चों के साथ की जगह घूमने की जगह नो किड्स जोन पसंद आ रहे हैं।
अब यहां की सरकार लोगों के ऐसा करने से चिंता में आ रही है और लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए लाखों नहीं करोड़ो रुपये खर्च भी कर रही है। सरकार की ओर से इसके लिए देश में पिछले 16 सालों में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए 16 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
जवानों को पसंद आ रहा है शांत माहौल
दक्षिण कोरिया में पिछले कुछ सालों में ऐसी जगह रहना पसंद है, जहां बच्चे शोर न करें। यहां के वयस्क शांत माहौल में रहना पसंद कर रहे हैं। यही नहीं कैफे, रेस्त्रा आदि में भी बच्चों के साथ प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है। यहां के जेजू द्वीप में 80 ऐसी जगहें हैं जहां पर बाहर रेस्त्रा में खाना खाने के लिए बिना बच्चों के ही जाना जरूरी है।
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देश में हैं 500 जगहें
दक्षिण कोरिया में ऐसी करीब 500 से ज्यादा जगहें हैं। जहां पर बच्चों के जाने पर मनाही है। एक रिसर्च के अनुसार पहले 10 में से 7 लोग इसके पक्ष में होते थे। अब लोगों की राय धीरे-धीरे बदलने लगी है। यहां बेसिक इनकम पार्टी की एक सदस्य इस तरह के जोन का विरोध कर रही हैं। वे हाल ही में नेशनल असेंबली की बैठक में बिना अनुमति के अपने दो साल के बच्चे के साथ पहुंची थी। जेजू द्वीप में इस तरह के जोन को संविधान की भावना के खिलाफ माना जा रहा है। यहां बच्चों के साथ वाले समाज को लाने की भी कोशिशें की जा रही हैं।
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नो किड्स जोन का आया था 2012 में चलन
कोरिया में एक विशेषज्ञ टिलैंड का कहना है कि यहां नो किड्स जोन की 2012 में शुरुआत हुई थी। उस समय रेस्तरां में एक बच्चा झुलसने की घटना हुई थी। इस बच्चे की मां ने रेस्त्रां वालों को घटना का जिम्मेदार बताया था। बाद फुटेज देखने के बाद पता लगा कि बच्चा वहां इधर-उधर भाग रहा था, जिससे यह घटना हुई। देश में ‘मॉम-चूंग’ जैसे शब्दों को महिलाओं के लिए बोला जाता है। जिसे दूसरों की उपेक्षा कर अपने बच्चों की परवाह करने के लिए बोला जाता है। इसके बाद से ही नो किड्स जोन की संख्या यहां बढ़ने लग गई थी।