भारत में तकनीकी शिक्षा के सुधार के लिए विश्व बैंक की ओर से 25.5 करोड़ डॉलर के ऋण को मंजूरी दी गई है। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इस परियोजना से आने वाले 5 सालों में देश के चुनिंदा राज्यों में लगभग 275 सरकारी तकनीकी संस्थानों में पढ़ने वाले 350,000 से अधिक छात्रों को लाभ होगा। अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (आईआरडीबी) द्वारा दिए गए 25.5 करोड़ डॉलर के ऋण की अंतिम परिपक्वता अवधि 14 साल है, जिसमें पांच साल की छूट अवधि भी शामिल है।
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वैसे तो भारत का उच्च शिक्षा क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, लेकिन तकनीकी और गैर-तकनीकी कौशल जैसे रीजनिंग, इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन और कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन में अध्ययन करने वाले छात्रों का अंतराल काफी बढ़ गया है। मल्टीडिसीप्लीनरी एजुकेशन और इनोवेशन पर फोकस करके तकनीकी शिक्षा को और बेहतर बनाया जा सकता है। ताकि छात्रों के कौशल और उनकी रोज़गार हासिल करने की क्षमता में सुधार हो। विश्व बैंक के सहयोग से स्टूडेंट को इंटर्नशिप और प्लेसमेंट से जुड़ी बेहतर सुविधाओं का भी फायदा होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत छात्रों को क्लाइमेट रेजिलियंस (जलवायु लचीलापन) और संचार क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकी समेत नए पाठ्यक्रमों में शिक्षा हासिल करने का अवसर प्राप्त होगा।
इस परियोजना के तहत इसमें भाग लेने वाले शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर ऐसे आउटरीच कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जहां महिलाओं छात्रों, माता-पिता एवं अभिवावकों को तकनीकी शिक्षा कार्यक्रमों से जुड़े विभिन्न विकल्पों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। तकनीकी शिक्षा में महिलाओं की विशेष भागीदारी पर जोर देकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में उनकी क्षमताओं के बारे में गलत धारणाओं को दूर किया जाएगा।
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भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्ट तानो कुआमे ने कहा कि, "भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से उभरने वाली तृतीयक शिक्षा प्रणालियों में से एक है। यह परियोजना भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में मदद करेगी, जो नौकरियों और उद्यमों के लिए छात्रों को तैयार करने के लिए शिक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र के आधुनिकीकरण की बात करती है। "