जयपुर। India National Flag Flown Half Mast : ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के सम्मान में 21 मई को पूरे भारत में एक दिवसीय राजकीय शोक मनाया घोषित किया गया है। गौरतलब है कि ईरानी राष्ट्रपति की 20 मई को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। भारत में इस राजकीय शोक की अवधि के दौरान कोई भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम नहीं होने के कारण सभी आधिकारिक भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका हुआ रहेगा। आपको बता दें कि ईरानी राष्ट्रपति, देश के विदेश मंत्री और कई अन्य अधिकारी 20 मई को देश के उत्तर-पश्चिम के कोहरे वाले पहाड़ी क्षेत्र में उनके हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कुछ घंटों बाद मृत पाए गए थे।
ईरानी राष्ट्रपति के सम्मान में आधा झुका तिरंगा
ईरान के दिवंगत गणमान्य व्यक्तियों के सम्मान में भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि 21 मई (मंगलवार) को पूरे भारत में एक दिन का राजकीय शोक रहेगा। एक अधिकारिक बयान में कहा गया है कि शोक के दिन, पूरे भारत में उन सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है और उस दिन कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा।
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इस्लामी क्रांति के बाद ऐसा हुआ ईरानी शासकों का हाल
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान बनने के बाद उसके 45 सालों के इतिहास में वर्तमान सर्वोच्च नेता अली ख़ामेनेई के अलावा सभी राष्ट्राध्यक्षों को किसी न किसी विपत्ति का सामना करना पड़ा है। इसके तहत यो तो वो मारे गए या उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा। तो आइए जानते हैं ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति से अब तक ईरान के शासकों का क्या हाल हुआ।
मेहदी बज़ारगान को देना पड़ा इस्तीफा
1979 में इस्लामी क्रांति के बाद सरकार बनने पर पहले (अस्थायी) प्रधानमंत्री मेहदी बज़ारगान को बनाया गया। उन्हें पद के लिए अधिक शक्तियां चाहिए थीं। उनको तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़ा होने समेत कई समस्याओं का सामना करना पड़ा जिसके बाद वो कुछ भी करने में असमर्थ हो गए और इस्तीफा देना पड़ा।
अबुल हसन बनी सद्र की बर्खास्तगी और पलायन
इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान के पहले धर्मगुरु अयातुल्लाह रुहोल्लाह ख़ुमैनी ने अबुल हसन बनी सद्र को राष्ट्रपति बनाया। हालांकि, उनकी प्रधानमंत्री मोहम्मद अली राजाई से मतभेद थे। हालांकि, अबुल हसन बनी सद्र और ईरानी मजलिस में बहुमत वाली इस्लामिक रिपब्लिक पार्टी के बीच संघर्ष की वजह से उन्हें बर्खास्त किया गया। उनके खिलाफ “देशद्रोह और शासन के खिलाफ साजिश” के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया और फ्रांस भाग गए और अपना जीवन वहीं बिताया।
मोहम्मद अली रजाई की बमबारी में मौत
बनी सद्र के बाद मोहम्मद अली राज़ई राष्ट्रपति बने। उन्होंने 2 अगस्त 1981 को पदभार संभाला था लेकिन उसी साल प्रधानमंत्री कार्यालय में हुए विस्फोट में देश के प्रधानमंत्री मोहम्मद जवाद बहनार के साथ उनकी मृत्यु हो गई गई।
मीर हुसैन मोसवी को हुई जेल
इसके बाद मीर हुसैन मोसवी राष्ट्रपति बने लेकिन उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा था। ख़ामेनेई के नेतृत्व में और 1980 के दशक में संविधान के संशोधन के बाद प्रधानमंत्री का पद खत्म कर दिया गया। अरब जगत में मची उथल पुथल के बाद 2 फ़रवरी 2013 को मोसवी को गिरफ़्तार कर लिया गया और वो अभी भी जेल में बंद हैं।
अकबर हाशमी रफ़संजानी की पूल में संदिग्ध मौत
रफ़संजानी 1989 ईरान के राष्ट्रपति बने जिनका कार्यकाल भी तनावपूर्ण रहा। हिज़्बुल्लाह ने उनका विरोध किया। हालांकि, 2005 के चुनावों के दूसरे दौर में वो महमूद अहमदीनेजाद से हार गए। इसके बाद 8 जनवरी 2017 को स्विमिंग पूल में नहाते हुए उनकी मौत हो गई जिसें संदिग्ध माना गया।
मोहम्मद खातमी ने दिया सुधारों पर ज़ोर
मोहम्मद ख़ातमी 23 मई 1997 को ईरान के राष्ट्रपति चुने गए थे। 2001 में ईरान के सर्वोच्च नेता ने सुधारवादी प्रेस को ‘दुश्मन का डेटाबेस’ कहा और दर्जनों प्रकाशन बंद कर दिये गए। खातमी ने कहा था कि उनकी सरकार को हर 9 दिन में एक बार संकट का सामना करना पड़ता है। 2004 के बाद ईरान के अंदर मीडिया में उनकी तस्वीर छापने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उन्हें ईरान में राजनीतिक गतिविधियों से हटा दिया गया।
महमूद अहमदीनेजाद साबित हुए गुस्सैल नेता
अहमदीनेजाद 2005 में ईरान के राष्ट्रपति बने थे और उन्हें ईरान के राष्ट्रपति पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति माना गया। इसके बाद अहमदीनेजाद ने 2009 में दूसरी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता। महमूद अहमदीनेजाद तीसरे कार्यकाल के लिए एक बार फिर 2017 में राष्ट्रपति चुनाव में कूदें लेकिन गार्डियन काउंसिल ने उनकी उम्मीदवारी को खारिज कर दिया।
हसन रूहानी
2013 में हसन रूहानी राष्ट्रपति चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बने। उन्होंने शुरू से ही ख़ामेनेई का विश्वास हासिल करने की कोशिश की। परंतु अमेरिका के साथ बातचीत करने की कोशिश और ‘संयुक्त व्यापक कार्य योजना’ (जेसीपीओए) नामक एक अन्य समझौते की तैयारी की वजह से उन्हें खामेनेई की ओर से कई बार आलोचना झेलनी पड़ी।
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