Skanda Sashti Vrat 2024: सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान स्कन्द की विधिवत पूजा की जाती है। भगवान स्कन्द को भगवान शिव और देवी पार्वती के छठे पुत्र कार्तिकेय के रूप में पहचाना जाता है। इस तिथि को स्कन्द षष्ठी के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की उपासना करना भी शुभ माना गया है। कहते है कि इस दिन सूर्यदेव की उपासना करने से लोगों को रोगों से मुक्ति, आरोग्य और सुख-समृद्धि मिलती है।
कब है स्कंद षष्ठी का पर्व
(Kab Hai Skanda Sashti Vrat)
साल 2024 का स्कंद षष्ठी का पर्व 12 जून को ही मनाया जाएगा। इस बार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 11 जून मंगलवार को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 12 जून बुधवार के दिन शाम 7 बजकर 17 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि 12 जून को यह व्रत रहेगा।
स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि
(Skanda Sashti Vrat Puja Vidhi)
- – सुबह जल्दी स्नान के बाद उगते सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का जप करें।
- – अब गणपति भगवान और नवग्रहों की पूजा कर देवताओं का आवाहन करें।
- – भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से पूजन करें।
- – कार्तिकेय को वस्त्र, अभूषण, सुगंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- – भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए आरती और फिर परिक्रमा करें।
- – “ॐ स्कन्द शिवाय नमः” मंत्र का जाप करें और फिर भगवान से प्रार्थना करें।
- – स्कंद षष्ठी के दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को जरुरी चीजें दान करें।
स्कंद षष्ठी व्रत रखने के पीछे की मान्यता
(Skanda Sashti Vrat ki Manyatta)
स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा की जाती है। उन्हें युद्ध का हिंदू देवता कहा जाता है। साथ ही उन्हें ‘कार्तिकेय’, ‘सुब्रमण्यम’, ‘स्कंद’, ‘कुमार स्वामी’ और ‘कुमारन’ जैसे विभिन्न नामों से पहचान मिलती है। शिव-पार्वती पुत्र और देवसेना के सेनापति हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जो भी व्यक्ति स्कंद षष्ठी व्रत और पूजा करता है, उसके जीवन की हर इच्छा पूरी होती है। साथ ही उसे भगवान कार्तिकेय उदारतापूर्वक आशीर्वाद प्रदान करते है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर बेस्ड है। MNI इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।
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