Eid ul Adha Date 2024 : हिजरी कैलेंडर का आखिरी महीना शुरु हो चुका है। कल 7 जून को भारत में जिलहज का चांद नजर आ चुका है। इस लिहाज से भारत में आज 8 जून 2024 को जिलहज महीने की पहली तारीख है। सऊदी अरब में आज जिलहज की दूसरी तारीख है। बकरीद का त्योहार जिलहज की दसवी तारीख को मनाया जाता है। भारत में कुर्बानी का ये पाकीजा पर्व कब मनाया जाएगा (Eid ul Adha Date 2024) वही तारीख हम आपको बताने जा रहे हैं। आप सबको ईद अल अज़हा की तहे दिल से मुबारकबाद। अल्लाह हम सबको अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में कुर्बान करने की तौफीक़ नसीब फरमाएं। आमीन सुम्माआमीन
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ईद उल अज़हा कब है (Eid ul Adha Date 2024)
हिजरी कैलेंडर का आखिरी महीना जिलहज्ज 8 जून 2024 से शुरु हो चुका है। इस हिसाब से दस तारीख 17 जून को होगी। वही सऊदी अरब में ये तारीख 16 जून को होगी। कुल मिलाकर हज के महीने की दसवी तारीख को ईद उल अजहा यानी अंग्रेजी तारीख 17 जून को होगी। भारत में हिलाल कमेटी ने ये तय किया है कि ईद उल अजहा (Eid Ul Adha 2024) 17 जून 2024 को मनाई जाएगी।
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— Salaam TV (@salaamtvnews) June 7, 2024
हज यात्रा में नवाचार कर रहा अरब
सऊदी अरब की हुकूमत इस साल लगातार हज यात्रा को सुगम बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। क्योंकि हज से अरब को काफी बिजनेस होता है। ऐसे में सऊदी सुल्तान एमबीएस (MBS Saudi Arabia) सवाब के जरिये अरब के ख्वाब पूरे करने का ये सपना हकीकत में बदल रहा है। सऊदी अरब का मिशन 2030 है कि हज के जरिए अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। साथ ही हजयात्रियों को दुनिया की बेहतरीन सेवाएं प्रदान की जा सके। भारत ने भी हज सुविधा ऐप (Haj Suvidha App 2024 India) शुरु किया है जिससे कोई भी हाजी मोबाइल पर सारी जानकारी हासिल कर सकेगा।
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ईद उल अजहा क्या है (Hsitory of Eid ul Adha)
बकरीद का त्योहार पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे ईस्माइल अहेअलैहिस्सलाम की कुर्बानी की सु्न्नत को जिंदा करने के लिए मनाया जाता है। अल्लाह तआला का हुक्म हुआ था कि अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करो। अल्लाह के खलील हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम (Hsitory of Eid ul Adha) को 80 साल की उम्र में हजरत इस्माईल पैदा हुए थे। ऐसे में उनको कुर्बान करने का ख्याल दिल में लाना ही सबसे बड़ी कुर्बानी थी। अल्लाह तआला ने इस इम्तिहान में कामयाब होने पर इब्राहीम अलैहिस्सलाम को कहा कि आपकी ये सुन्नत (Eid Ul Adha 2024 in Gulf) कयामत तक आने वाली नस्लें जिंदा रखेगी। केवल गोश्त खाने के इरादे से कुर्बानी नहीं की जानी चाहिए। बल्कि तकवा और परहेजगारी ही इस त्योहार का मुख्य अकीदा है।